दिव्यावदान में संस्कृति का स्वरूप | Divyavdaan Me Sanskriti Ka Sawrup
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
5 MB
कुल पष्ठ :
311
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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करिण्डेद ४--पत्रज्या
(क) प्रव्रज्या सवंसाधारणा
(ख) प्रद्रजित होने के नियम
(ग) ्र्रज्या-विधि
(ष) प्रव्रज्याकालीन जनुष्ठेय कृत्य
(ड) भ्रब्रज्या-प्रहण का फल
(च) प्रव्रज्या के कृष्ट
परिच्छेद ५-- मैत्री
परिच्छेद ६--दान
परिच्ष्छेद ७--सत्य-क्रिया
परिच्छेव ६ - षट्-पारमिता
(१) दान पारमिता
(२) शील पारमिता
(३) क्षान्ति पारभिता
(४) वीर्ये पारमिता
(५) ध्यान पारमिता
(६) प्रज्ञा पारमिता
परिष्छेव £ -- रूपकाय ओौर धर्मकाय
परिच्छेद १०--साप्रदायिक भ्एगदे
परिच्छेद ११ --नरक
परिण्छेद १२- तीन यान
वरिरुछेद १३- -घ्मे-देशना
वरिच्छेद १४--कमें-पथ
वरिच्छेद १५ -कर्म एवं पुतजेन्म का सिद्धान्त
(क) पूव स्वकृत कर्मो पर विवास
(ख) कर्मों का फल अवध्यभावी
(ग) कर्म॑-विपाक
१८७--१६१
७ १ ठ ७
१८८
१८६
१६०
१६०
१६०
१६२- १६३
१६८- १६७
१६८- १६६
२००--२०३
२०५
२००
२०१
२०२
२७३
२०३
२०४- २०५
२ ७६--२०५८
२०द-ए२१०
२११- २१२
२१३- २१४
२१५ - २१६
२१७- २१४
२१७
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२१६
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