दिव्यावदान में संस्कृति का स्वरूप | Divyavdaan Me Sanskriti Ka Sawrup

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Divyavdaan Me Sanskriti Ka Sawrup by श्याम प्रकाश - Shyam Prakash

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १४ ) करिण्डेद ४--पत्रज्या (क) प्रव्रज्या सवंसाधारणा (ख) प्रद्रजित होने के नियम (ग) ्र्रज्या-विधि (ष) प्रव्रज्याकालीन जनुष्ठेय कृत्य (ड) भ्रब्रज्या-प्रहण का फल (च) प्रव्रज्या के कृष्ट परिच्छेद ५-- मैत्री परिच्छेद ६--दान परिच्ष्छेद ७--सत्य-क्रिया परिच्छेव ६ - षट्‌-पारमिता (१) दान पारमिता (२) शील पारमिता (३) क्षान्ति पारभिता (४) वीर्ये पारमिता (५) ध्यान पारमिता (६) प्रज्ञा पारमिता परिष्छेव £ -- रूपकाय ओौर धर्मकाय परिच्छेद १०--साप्रदायिक भ्एगदे परिच्छेद ११ --नरक परिण्छेद १२- तीन यान वरिरुछेद १३- -घ्मे-देशना वरिच्छेद १४--कमें-पथ वरिच्छेद १५ -कर्म एवं पुतजेन्म का सिद्धान्त (क) पूव स्वकृत कर्मो पर विवास (ख) कर्मों का फल अवध्यभावी (ग) कर्म॑-विपाक १८७--१६१ ७ १ ठ ७ १८८ १८६ १६० १६० १६० १६२- १६३ १६८- १६७ १६८- १६६ २००--२०३ २०५ २०० २०१ २०२ २७३ २०३ २०४- २०५ २ ७६--२०५८ २०द-ए२१० २११- २१२ २१३- २१४ २१५ - २१६ २१७- २१४ २१७ २१८ २१६




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