रहिमन विलास | Rahiman Vilas

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Rahiman Vilas by ब्रजरत्न दास - Brajratna Das

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ९ ) उत्तर में बहुत कुछ उत्साह दिलाया श्रौर बादशाह से भी सब बातें कह सुन दीं । इनकी घबड़ाहट ठीक ही थी क्योंकि एक नवयुवक के लिये ऐसी ऐसी दो विज़यों के प्राप्न होने के श्ननंतर फिर उसी प्रात में गड़बड़ मचने की आशंका होना डर का कारण ही था, इससे उसने अपने हृदय की बात लिख दी । उनका राजा टोडरमल को बुलाना उनकी दूरदर्शिता और मनुष्य की पहिचान वतलाता है क्योकि श्रत में इन्हीं राजा टोडरमल ने वहाँ शाति स्थापित की शी । सं० १६४४ वि मं गुजरात का प्रवंध ठीक करके क्रलीज खाँ को बह प्रांत सौंप कर यह शाही आज्ञानुसार दरवार लोट गये । सं १६४६ चि८ में स्वानखानाँ ने वाबर के आत्मचरित्र का तुर्की भाषा से फ़ारसी में अनुवाद करके बादशाह को समपण क्रिया, जिससे बादशाह बडे प्रसन्न ए । इसी वपं राजा टोडग्मल की मृत्यु हो जाने के कारण यह वकील मुतलक़ बनाये गए और जौनपुर प्राति जागीर में मिला । सं० १६४८ वि में यह मुल्तान प्रांत के सूबेदार बनाए गए श्ौर बहुत बड़ी सेना के साथ ठट्रा और सिंध प्रांत पर अधिक्रार करने के लिये भेजे गए। इन्होंने पहिले मुल्तान पहुँच कर सब तैयारी ठीक की और तव उस आर कूच किया । ख्रानखानाँ ने बड़ी बुद्धिमानी से जल्दी कूच करते हुए दुग सेहबन के नीचे से निकल- कर लखी पर अधिकार कर लिया । एक सैनिक के घायल हुए बिना ही सिंध की इस कुंजी पर अधिकार हो गया । जिस प्रकार बंगाल का फाटक गढ़ी श्रौर काश्मीर का बारहमूला है, उसी प्रकार यह सिंध का फाटक है । इसके अनंतर दुग सेहवन घेर लिया गया और मिर्जा जानीबेग भी यह समाचार सुनकर ससैन्य रा पहुँचा श्रोर नसीरपुर घाट पर एक दृढ़ स्थान मे पडाव डाला! खान-




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