हिंद - स्वराज | Hind-Swaraj
श्रेणी : इतिहास / History
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
7 MB
कुल पष्ठ :
129
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand): २;
वंग-भंग
पा०--झापके कहने के मुताबिक यह बात तो ठीक ही मालूम
पड़ती है कि स्वराज्य की नीव काग्रेस ने डाली; लेकिन यह तो
श्रापको कबूल करना होगा कि वह सच्ची जाग नहीं मानौ जा
सकती । सच्ची जाग कब श्रौर कैसे हुई ?
सं०--बीज कभी दिखाई नहीं देता । वह तो मिट्टी के नीचे
ग्रपना काम करके खुद मिट जाता है, तब जाकर पेड़ जमीन के
ऊपर देख पड़ता है । यही हाल कांग्रेस का है । जिसे श्राप सच्ची
जाग मानते हैं वह तो बंग-भंग से पेदा हुई है । उसके लिए तो हमें
लाडें कर्जन का एहसान मानना चाहिए । बंग-भंग के समय बंगा-
लियों नें लाडे क्जन की बहुत श्रारजू-मिन्नत की; पर शक्ति के
मद में उन्होंने कुछ न सुनी । उन्होंन मान लिया कि हिंदुस्तानी
केवल बक-कक करके रह जायंगे, इनके किये श्रौर कुछ नहीं होने
का। उन्होंने हिंदुस्तानियों के लिए श्रपमान-भरे शब्द व्यवहार किये,
ग्रौर बड़ी ऐंठ के साथ बंगाल के दो टुकड़े कर दिये। समभना चाहिए
कि उसी दिन से ब्रिटिश राज्य के भी टुकड़े होगये । बंग-भंग से
ब्रिटिशा-झक्ति को जैसा धक्का लगा वैसा श्रौर किसी बात से नहीं
लगा। इसका यह मतलब नहीं कि दूसरे जो झ्रन्याय हुए वें बंग-भंग
से कुछ कम थे । नमक-कर कोई छोटा श्रन्याय नहीं है । श्रागे चलकर
हमें ऐसी कितनी ही बातें मालूम होंगी । पर बंग-भंग का विरोध
करने के लिए जनता तो तैयार थी । उस समय उसमें बड़ा जोश
था । बंगाल के अनेक नेता अपना सर्वेस्व होमने को उद्यत थे। उन्हें
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