मोक्षशास्त्र सटीक | Mokshshastra Satik
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
254
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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प्रशनावली चतुर्थ अध्याय । | विषय भष्याय चतर
| कालद्रव्यका वर्णन ५ ३९-४०
विप नस्या सत्न | गुणका लक्षण ५ ४१
अजीवास्तिकाय ५
्रव्योकी गणना ५ २-३-३९
ट्र्ब्योकी विधेषता ५ ४-७
प्ययका लक्षण ५ २
प्ररनावरी पश्चम अधष्याय ।.
्रज्येकि प्रदैर्योका योगके भेद व स्वरूप ६ १
वणन ५ ८-१९ | आसरत्रकाखरर्प ६ २
द्रव्योकि रहनेका योगके निसित्तसे
स्थान ५ १९-१६ आस्लवके मेद् ६ ३
दन्योकि उपकारका स्वामीकी अपेक्षा
वणेन ५ १७.२२ आस्रचके सेद् ६ ४
पुद्रटका खक्षण ५ २३ | साम्परायिक आसवके
पुद्रटकी पयय ५ यष्ट मेद ६ ५
पुदलके मेद ५. २५ | आख्रवकी विद्यॉपतामें
सन्धोकी उत्पत्तिके कारणं ६ &
कारण ५ २६-२८) अधिकरणके भेद ६ ७
दरेन्यका छक्चण ५ २९ | जीवाधिकरणकेभेद ६ ८
सत्तका छश्ण ५ ३० | अजीवायिक्ररणके भेद ६ ९
नित्यका चरण , ५ ३१ | ज्ञानावरण ओर दरना-
पक्र ही धमेमें विरुद्ध. वरणकरे आखव ६ १०
धर्मीका समन्वय ५ ३२ | असाता वेदनीयके
परमाणुओंमें वन्ध आस्व ६ ११
होनेका वर्णन ५ ३३ ३७ सातवेदनीयके. आखव £ १२
द्रव्यका प्रकारान्तरसे दरनमोदनीयके » ६. १३
लभृण ५ ३८ ` चारि्रमोहनीयके +» ६ १४
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