स्त्रियोंके लिए कर्तव्यशिक्षा | StrieyoKe Liye Kartavya Shiksha
श्रेणी : शिक्षा / Education
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
6 MB
कुल पष्ठ :
190
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)स्त्रियोंके िये कतंव्यदिक्षा द
नदी चाहती, पतिकी ओरसे आदर मिले या अनादर-दोनोमे जिसकी
समान बुद्धि रहती है, रेसी खीको पतित्रता कहते है । जो साध्वी
खरी घुन्दर वेपधारी भी परपुरुषको देखकर उसे भ्राता, पिता ओर पुत्रके
तुल्य मानती है, वह पतित्रता है । द्विजश्र् | तुम उस परतित्रताके पास
जाकर उससे अपने हिंतकी बात पूछो । उसका नाम झुभा है । वह
रूपवती युवती है, उसके हृदयमे दया मरी है |?
यों कहकर भगवान् वहीं अन्तर्धान हयो गये, इसपर ब्राह्मणको
बड़ा आश्चर्य हुआ । उन्होंने पतित्रता झुभाके घर जाकर उसके
विपयमे पूछा । झुभा तुरंत घरसे बाहर आकर दरवाजेपर खड़ी हो
गयी | नरोत्तमने कहा--'देवि ! तुमने जैसा देखा और समझा है;
उसके अनुसार मेरे हितकी बात बताओ |
पतिव्रता वोढी--श्रह्मन् ! इस समय मुझे पतिदेवकी सेवा
करनी है, अत: अवकाश नहीं है; इसलिये आपका यह कार्य पीछे
करूँगी । इस समय मेरा आतिथ्य ग्रहण कीजिये ।”
नरोत्तमने कहा-'मुझे भूख; प्यास और थकावट नहीं है; मुझे
अभीछ्ट वात बताओ, अन्यथा मै तुम्हे राप दे दूंगा |
इसपर पतित्रता बोली-'द्विजश्रेष्ठ ! मै बगुला नहीं हूँ । आप
धर्म तुछाधारके पास जाइये और उन्हींसे अपने हितकी बात पूछिये |”
यो कहकर शुभा घरके भीतर चली गयी । उसकी बात सुनकर
नरोत्तम ब्राह्मणको बड़ा विस्मय इः, तव ब्राह्मणवेषधारी श्रीमगवान्ने
आकर बतटायां किं यह शुभा पतिव्रता है इसीसे यह भूत; भविष्य
और वर्तमान तीनो कालंकी बाते जानती है |
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