विभक्ति-संवाद (1941) | Vibhakti-Sanvad (1941)
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
100
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about उपाध्याय जैनमुनि आत्माराम - Upadhyay Jainmuni Aatmaram
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नमोत्थुण समणस्स भगवभो मद्दावीरस्स
पूवर्ध
सावन का महीना है । आकाश में चारों ओर धनघोर
घटार्पँ उमङ़ रही है । मेषं की गम्भीर गजना से दसो दिका
मुखरित हो रही हैं । शीतल, मन्द पवन के झोंके आ रहे हैं ।
गरीष्म ऋतु में सूय के प्रचण्ड ताप से उत्तप्त भूमि अविच्छिन्न
जलघारा के द्वारा शान्त हो चुकी है। प्रकृति-नटी वर्षा ऋतु का
नवीन परिधान पहन कर विश्य के रज्ञमश्च पर एक नया खेछ
खेलने में प्रवृत्त है !
चम्पा नगरी का पृ्णभद्र-उद्यान आज अभिनव सौन्दय से
सुशोभित है । प्रत्येक वृक्ष अपू्व शोभा को धारण किए हुए है ।
वैद्यराज मेघ ने जलधारा से सिंचन कर मानों वृक्षों का काया-
User Reviews
No Reviews | Add Yours...