असली सत्यार्थ प्रकाश (1875) एसी 801 | Asali Satyathra Prakash (1875)ac 801

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Asali Satyathra Prakash (1875)ac 801 by स्वामी दयानंद सरस्वती - Swami Dyanand Sarswati

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सत्याथं प्रकाश क) छडालेदड । [ १३ ] ~~ ^~^~“---~ ~~~ ~~~ ~ ~~~ - ~ ~~ ~~ --- ~~ ------ ~~~“ --~-~ करने का श्रायसमाजियोंकों काई श्रधिकार नहीं है । पेशावर वाले मुकदमे का फसला सामने झाने पर तो झायसमाज़ को गर्दन अब तक लज्ज़ा से नीची हो ज्ञाती है शोर यदि सन्‌, ७५ चाला सत्यार्थ प्रकाश ही असली है रोष सच नकली हैं । यह बात भी शदालत में सिद्ध होगई है ता श्रायसमाज की बची बचाई प्रतिष्ठा भी घूल में मिल ज्ञायगी। झाशा है कि दम भरने चाले हमारे श्रायसमाजी मित्र इस व्यर्थ के झगड़े में समाज का शरीर सनातनधघर्मियाँ का घन नष्ट न करावेंगे। मुकदमा चलन के धार श्रन्दालन में श्रायसमाज के प्रसिद्ध पत्र * चद्प्रकाश” ने भाद्रपद संचत्‌ १९३४ में लिखा है कि- क्या सार्यसमाज कोट में जायगा । “स्पं० कालराम शास्त्री ने पुराना खत्यार्थप्रकाश छापा है। उस पर मुकद्दमा चलाने को झाय मित्र दो मास से उसका रहा है। हमारी समभ में पुराने सत्यार्थप्रकाशसे श्रायंसमाज को विशेष हानि नहीं होगी किन्तु लाभ ही श्रधिक है। मूर्ति पूजा का, पुरार्गों का, भ्रूतप्रेतों का, तीथों का, अवतारवाद का सभी का खण्डन उसमें दे। केवल श्राद्ध का घपला है सा स्वामी जी ने पुराने सत्य. थे प्रकाश से १ चष॑पूच॒ सन्‌ 3 में पंचमदायशविधि में मृतक श्राद्ध का खणडन कर दिया है। २--मांस प्रकरण का सनातनी मी नहीं मानते हैं । पेसी दशा में उस पर मुकदमा चलाकर उसकी श्र प्रसिद्धि कर ~~~




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