राजस्थानी साहित्य सम्पदा | Rajasthani Sahitya Sampada

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Rajasthani Sahitya Sampada by सौभाग्यसिंह शेखावत - Saubhagyasingh Shekhavat

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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राजापानी शाहिएएं सम्परा [ 1 दूना भीता सात क] दिदष्पि का उससे १ सदप्णा सत्रि शर, युगं पुग मा पद घद्धि धिदरट्रिपी दे, महा भीया मिल्ाग 1 ट ॐ -गदिषौ मदु ठ पविता शत्‌ था प्रौ शात प जति, परू पि यड्िगो कति 1 पिष्टा भौ लकार तत, पीतरलिवा रकण ॥१३॥ झौ गा पए ऊगार, पे पमो प का) धग पोगर कटै मागि मुष नार १४ गण्य दूता मापि पट्िपातादणारे विभौ) भए योद माराम, यग निरि ध्रापौ व्व ॥¶४॥ स्दरेषीया प्यार, मात्र निरा सारुडा 1 पैरा पारः यार, भाई ज){ भीमरउते ॥१६॥ भरा पहा वीर, जहाम्पौ जुगटिठि तणा) य बगिया कृषटोर, विद्रिवा पररजायौ विजौ॥१५ दम प्रसार पाल्णा निधि ने यी मारमतोत (वीता), मानगज, बैरराल, गाय शूजा, गर्जा पौर योरा धादि ण ततदाता (याला) वे मुद्दा वरान किया है । तप्याय ता युद्ध माधा भंप्पदररापे कण्ण सलहा गया था। पवि ने पो गो ग्रह ऊमा ए, भर वरी थे वास्या पिया है। एम युद्ध मे कोई सीप सौ योदा मारे गये थे । मरता राठीडा में जराल यानि इस मुद्ध मे प्रमुग थे । प्रप्त रघनापा मे वशित युद्ध परताधा में कानप्रम थे घाधार पर क्वि था रनगायाल विम सर १४६५ रो १५८५ ता स्वोगार पिया जा सता है। चातण राजमी तिष, मर्थादावादी भौर उच्य रपर शा पाय्यवार था । महाराणा सारस, महाराणा बु भा, गाव रणमत, राव जाधा, यरसत भीमोतत धौ रणधीर राटौड जसे मुघ्रेष्ट व्यक्तियोषा प्रोत्तिपाव्र दहाति यद्‌ बिद्धदहोारै कियद्‌ स्ययभी पराधारण य्यत्तिवमाधनीधा। कवि बै जम तया मृत्यु समय मी मोई पिश्यित जानवारी प्राप्त टी है। चाद मे युस परियय में उमये पिता सुम्मट भौर पुत्रों थे धरमा, लुम्मा भौर सोहा यिडिया या उत्लेस मिलता है। परत सम्भव है कि घादण मै धरमा, सु भा श्रीर सीहा तीन ही पुष् हुए हा । मारवाड में घरमा यो सतप्ति गाव काँवठिया, तु भा वे बदघर सराड़ी तथा सीट में पुर पी सोडरियो मे रद चरण पैः यना मे यद्वीदाम पिडिया ध्रीर हुपसीचन्द सिडिया डिंगल वे श्रेष्ठ बयि माने जाते है । इनके वीरगीत तो वजोड ही बहू जा सकते हैं । |




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