प्राणायाम - तत्त्व | Pranayam Tattv

लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
130
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)नाशायाम तत्त्व
जन लि ककक
१-प्राणायाम के साधन
ॐ सृष्टि मातर ॐ व्यायामं को तीन श्रेणियों में विभक्त कर
सक्ते है । प्रथम श्रेणी मे उंड, वैठक, ङती, युद्गर, मोगरी,
करेला, मलखंभ, लकड़ी एवं पाश्चात्य रीत्यजुतार जमनास्टीक,
डम्वैलर आदि कहे जा सकते हैं। ये सभी व्यायाम स्थूल शरीर
पोषक, रूप सोन्द्य-वर्घक एवं प्राकृतिक कहे जा सक्ते है!
दूसरी श्रेणी में झासनों के व्यायाम कहे जा सकते हैं । यह व्या-
याम पूर्वोक्त व्यायाम से प्राकृतिक और सूक्ष्म र्नायु, मण्जा,
तन्तुभों का पोषक तथा शोधक, हप-पौन्द्य धंक, षीयं एवं
रक्त को स्वच्छ करके जीवन देता है । तीसरी श्रेणी का व्यायाम
प्राणायाम है। यह पूर्वोक्त दोनों श्रेणियों से बिलझुल भाकृतिक,.'
ऐश्वय, जीवन-शक्ति, रुप, प्राणों का पोषक, शोधक प्राणायाम
का व्यायाम है जिसका उल्टेख इस निबन्ध मे करना है ।
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