प्राणायाम - तत्त्व | Pranayam Tattv

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Pranayam Tattv by आनंद स्वरुप - Aanand Swaroop

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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नाशायाम तत्त्व जन लि ककक १-प्राणायाम के साधन ॐ सृष्टि मातर ॐ व्यायामं को तीन श्रेणियों में विभक्त कर सक्ते है । प्रथम श्रेणी मे उंड, वैठक, ङती, युद्गर, मोगरी, करेला, मलखंभ, लकड़ी एवं पाश्चात्य रीत्यजुतार जमनास्टीक, डम्वैलर आदि कहे जा सकते हैं। ये सभी व्यायाम स्थूल शरीर पोषक, रूप सोन्द्य-वर्घक एवं प्राकृतिक कहे जा सक्ते है! दूसरी श्रेणी में झासनों के व्यायाम कहे जा सकते हैं । यह व्या- याम पूर्वोक्त व्यायाम से प्राकृतिक और सूक्ष्म र्नायु, मण्जा, तन्तुभों का पोषक तथा शोधक, हप-पौन्द्य धंक, षीयं एवं रक्त को स्वच्छ करके जीवन देता है । तीसरी श्रेणी का व्यायाम प्राणायाम है। यह पूर्वोक्त दोनों श्रेणियों से बिलझुल भाकृतिक,.' ऐश्वय, जीवन-शक्ति, रुप, प्राणों का पोषक, शोधक प्राणायाम का व्यायाम है जिसका उल्टेख इस निबन्ध मे करना है ।




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