शिकारनामा | Shikaranama
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
152
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)मव = स सर.
न
नरभक्षी स साक्षात्लार / १७ `
|
इसलिए वह थौल पार करके पश्चिमी बिनारे पर मुटीटी घास के बन में जा
धुमेगा । सुर्यास्त होन में अभी एक भटा शेप था। उन्होंने देखा कि शेर
धीरे धीरे पानी म उतर रहा है । प्रत्येक व्यवित का हृदय प्युरी तरह
-धडक रहा था । स्त्रियों न अपने नहे मुन्ने बच्चो को दुपट्टो से पीठ पर
बाँध रखा था ! जैम ही शेर किनारे पर पहुँचा उसकी दष्टि वक्सिा
पर पड़ी । वह उन पर चपटा ही था कि ढोल और कनस्तरा की कोला-
हलटूण आवाजें गूजने सगी । लगभग चार सौ मनुष्यों न धीरे धीर
अपना दायरा तग वरना शुरू कर दिया । लोग ढोल बजान के साथ-साथ
मुह से भी अति भयानक आवाज़ निकाल रहे थे । सबसे आगे नवयुवन'
ये 1 उनके वाद वृदे भौर सवसे अन्त म स्तिया थी । शेर इस अकम्मिक
संकट को देखकर पहले तो गुर्राया फिर सकी स झील वी. आर भागने
स्लगा । गाव के सरदार ने ललकारा कि योजना सफ्ल हो रही है। शेर
उसी दिशाम गाग रहा है । इसलिए टच तच आगे वढो भौर शौर बो
नौर ऊंचा कर दो । लोग सरदार की ललवार को सुन वर जल्दी जल्दी
आगे वदन लग । शेर जसे ही थील के किनारे तक पहुचा, आवाज़े नोर
तज़ हो गयी जौर लोग एकदम उसके सिर पर पहुंच गए । शेर उद्धिस्
हो उढा भीर उसनं पानी म उतरने के वजाय अकस्मात लोगरा पर आक-
मण कर दिया। वह् उनकी पक्ति को चीरा हा पौषे की नार
भागा । इस अफरान्तफरी मे दो स्थ्रियाँ उसकी परिधि में आ गया।
उसने थप्पड मार कर एक दी तो गल्न तोड दी भौर दुसरी को घमीःता
इना वीस-पच्चीस पग तक लं गया।
जाबानू न मुझे बताया कि शजम स्त्री को यह भाततायी जतु वीस-
पच्चौस पग तक घलीटता हुआ ले गया था. वह उसकी मगतर थी नौर
उम गाँव वी सबसे सुदर लडकी थी । उस दृषटना को सुनान हुए
उसकी आवा म आम्र उमड आए और उसकी आवाज़ अवरुद्ध हो गई ।
वह भावातिरेक से अधीर होकर मरे परा पर नुक गया । उसन अपन
-दाथास पाँव छूत्र हुए प्राथना की कि मैं उसकी मगेतर का प्रतिशोष
लिए बिना गाँव से वापस न जाऊ । मैंने उस विश्वास दिलाया कि मैं
दतनी दूर आया ही उसी उद्देश्य के लिए हू, इसलिए शेर को मारे बिना
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