काव्याङ्गदर्पण | Kavyangadarpan

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Kavyangadarpan by विजय बहादुर अवस्थी - Vijay Bahadur Avasthi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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२१४५ श्रौ श्रयदा श्रनुकङ्दा--४८५, रथोद्धता--४्=न, स्वायना-- ४२, इन्दि--४८९, भूजं- ४२६, हाक्तित्रा, कसो यः चौगेता-- ४८६, मोटनक--४६०, विष्दक्रमाला, सृपर्मरात्तअयवा घौर ४६०, सृमुखी-४९१, सन्द्रर्द-- द १, ध्रसरवि्सिदा- ४६१, शिखष्डित--४६ १. वृना-- ४६१, >दिका-- ४६१, स्दनिश्ा-- ४९१, उपत्यित--४६ १, १९ श्रक्षरो वाते दृत्त--४२१, चदरवल्नं या चद्दरह्म --४६१, वश्स्य- ४६२, इन्दवेशा-- ४६२, तीटक सा मीदद-- ४६३, द्रत विलम्बित--४६३, मौक्तिक दाम---४४,दुयुमवित्रिवा-- ४२४, उच्तोद्धनगति--४६१, मूजगश्रपात--४२५, क्षण्विभो, पद्मिनी या सक्ष्मीपर---४९६, प्रमिताझरा-- ४९६, जलपरमाला--९ ६, भाततौ--४६०, तामरम--४६८, मुन्दरो-- ४९, वारिधर -- ४६८, गोरी--४६९, सारगया मंनादनो -- ४६९ पुट-- ४६६, प्रमुदिवददना, श्रना, चचत्तालिवो या सदात्रिनी-४६६, प्रियवदा--४६६, मोचचामर परपदा विभादरी--४६६, मिमाय या पुष्परितिव्रा-- ६६, सचिता--४२६, उज्ज्वना-- ४९९, वैदवदेवो--४६६, पन्वचामर--४६६, १३ प्रक्षरो वादं वृत्त-५००, ईण्ना--५००, प्ररपिपी--५००; मत्तमदूर--५००, मनुमापिपो--५०१, नवनदिनी, सिंहनाद या कलहम--५०१, तारक-- ०, पकज- वारिक्रा--४०२, वमन--५०>, रिया या प्रमारती--५०३, मस्जुटातिनी-५०३, कुटिचगनि--५०३, १४ प्रवरो वाते पृत्त-- १०३, धपराजिना--५०२, ट्रितीला--५०३, वनन्तत्निनका, निहोडता, उडपिपो प्रयदा मघुमावो--५०४, इन्टुददना--५०४, मनोर्मा--५०१, परटरयक तिन --५०१, दमुदा--५०४, पुहि-- ५०५. वानन्नं -- ५०५, वमन्त षा नान्दौमुगगी--५०४, १५ प्रकर्यो कैः यृत्त-- ५०६, दारिकला भपवा चदादती - ५०६, सालिनी-- १०६, मगया साना--१०६, अधियुपनिकिर--५०६, सुप्रिया ५०६, मनह्‌रन- ५०७, उत्सव, न्न्ूपक। देवराज पा चामर--- ०७, नलिनों या घ्मरावलो--५०४, निशिपाल झयदा निरिन पानिका- ५०८, चद्रतेसा- ५०८, बन्दरषाना-- ४०८, १६ पक्ते के वुत्त -- ६०८, पवगति, मनटस्य, दिदोषक, नोल या सोला-- ५०८, पचकामर, नागराब, नाराच, चामरो प्रदा कनिष्दनन्दिनौ- ४५6, चचता या ब्रद्रा्पव--१०६, वाभिनौ-५१९, सचिवस्पलता-- ५१०, १७ पशरों को दृत्त--श१४, थिखरिघो-- ५१०, पृष्ते- ५१०, स्पपाता--५४११. सम्दोशासा प्रददा ोपरा- ५११, स्पथना- ५१२. १८ वों दाते वृत्त--५१५. चबरी, हरनवेंन, चचला, सालिकोलरसालिय, विवुध पिया ददवा




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