मनोवैज्ञानिक सम्प्रदाय | Manovaigyanik Samprdaya

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
श्रेणी :
Manovaigyanik Samprdaya  by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
श्रन्याय ै : साहुचय्यवाद | ९ धस दृष्टि से कि 'सीखना' श्राज रमूति १५ एक अग न होकर सन्त प्रक्रिवों के रूप में देखा जाता है श्रौर श्ाज के भवोविज्ञान की पुस्तकों मे (सीखना परे विक्षदु विवेचन सिलत। है जबकि सनोविजाव को पुरानी पाठदूव-पुस्तकों में 'सीसना जैसा महत्वपूर्ण निपव ढूंढने पर भी नढीं भिलत। है । पुतने सवोवैज्ञानिकों ने जत तहत पर विचॉोर किर्या थ। तो उन्होंने कंबल भ्रत्वाह्वाण पर व्याति द्यि था । उन्होंने यह पता लगाने का प्रयत्न किया था कि एक वात के याद आते ही टूसरी वात कसे याद श्रा जाती है । नव्व सदच्य्यनादी का घ्यानं पप्याह्वानकी श्र न होकर सीखने को झ्ोर श्रघिक है । बढ यह्‌ मालूम करना चाहत है कि साइच्य स्थापित कसे होता है । बाद मे 1 पित सधहुमय्ये का श्रत्थाद्धान दास परीक्षण भले ही कर [सिया जथिदकिन्तु दलना त्तो भहं है कि साहपर्य्य स्थापित किस चिधि से होता है । एवबिंग- हास के प्रयोग में सीलने की इस प्रक्रिया की शोर भी ध्यान दिया भया था | ध्राचीन सादचर्व्यवादियों ने कार्ये से कारण का अनुमान लगाया था; नन्य साहपथ्यनादी जात कारण से कार्य की श्रोर जाते हैं। एघिगद्वासि ने निर्र्थक शब्दी को याद करने के लिए कहा था । निरर्थक दब्दो मे पटल से कोर सम्नन्य नहीं होता | र्ट्‌ याद करने के लिए कई वार दुहन। पढ़ता है । इस श्रक्षिया में यादें करने चलें के मन में निर््यक दाब्दो के बीच में कुछ सम्बन्ध स्थापित हो जाता है । कई वार एक ही कर्म से निरस्वक शब्दों को सीखने से इन शब्दों में सहनतिता के नियम के अपचुसार सम्बन्ध स्थापित हो जाता है श्रौर व्यक्ति खन निर्च्यक शब्दों को क्रम से था<द कर लेता है। इस निया में 'भावुत्ति' का नियम भी काम करता रहता हैं । क्तिनी बार इहते से क्तिवा याद होता है ? इस श्रदन का उत्तर भी देने क। प्रथरन किया गया है । एविंगहास ते धनू के चसम्‌ कममी सामने ससं दथा है और ५।ज हम सीखने की वक्करेखा के रूप मे धस परिणाम से पर्थिचित हो गये हैं । 'विस्मृति के वक्क' मे एथिंगहास ने तात्क।लिकत। को भी परिशाम के रूप में पेश कर दिया है । एनिगहास के प्रयोग से उत्साहित होकर शने मनोवचसा नको ने साहेवय्य के निर्मल को प्रक्रिया को जानने के लिए




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now