डॉ॰ रामकुमार वर्मा के नाट्य साहित्य में व्यक्त सौन्दर्य का अनुशीलन | Dr.ram Kumar Varma Ke Natya Sahity Men Vyakt Saundarya Ka Anushilan
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
86 MB
कुल पष्ठ :
275
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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धिकः = वे = वोतो = पि = तिना = चेद = शभक = शाकः = वेः = महो = विभाय कल, कतादलवनाा = वोदोक विकयोयो वके सयोग = विति = कनका = सनद बरन = सि = पो निहति = शरोता = मोदे चिक = निति = कोते = तैतिदोकोतिः वनिोतोयो = अतेव
( गी 10 0 0 0) वि 2 0 2 2 ए ष @ 2 आ आ 0 0 आ आ 0 7 ष ष 0 2 |
सौन्दर्य नामक अभिधान का जो अर्थं निकाला जाता है, उसके
|| अनुसार सौन्यर्थ की सज्जा जीवन, साहित्य, मनोजगत् एवं वस्तु आदि सभी में |
| | परिरक्षित होती है। सौन्दर्य के प्रति मानव चिरकारू से आकृष्ट होता रहा है। यही |
सौन्दर्य उसकी आत्मा में अपने प्रकाश को फैलाता रहता है। सौन्दर्य शब्द व्यक्ति के |
| जीवन से इतना हिल-मिल गया है कि मन को अच्छी अथवा भरी रगने वाली वस्तु |
| को “सुन्दर शाब्द से परिभाषित कर दिया जाता है। वह वस्तु चाहे प्राकृतिक सुषमा || `
|| हो, कलाकृति हो, निर्जीव हो अथवा सजीव, उसके रूप लावण्य से अभिभूत व्यक्ति ||
|| आह्लादित हो बैठता है। इसीलिए कहा गया है कि “जिस गुण के कारण सजीव,
| निजीव वस्तुओं के प्रति आकर्षण ओर सम्मोहन होता हे तथा क्लान्त प्राणी को सुख
की अनुभूति होती है, उसे सुन्दर कहा जाता है।”*
सुन्दर' की अनुभूति मुख्यतः दृश्य और श्रवण द्वारा होती है। सुन्दर
| वस्तु का नेत्रं द्वारा, कविता ओर राग की मधुरता का कानों द्वारा आभास होता है कि ||
| वह सुन्दर है अथवा नहीं! यदि वह मानव की इन्द्रिय संवेदनाओं को सुन्दर लगती है
| तो व्यक्ति के मन में उसके प्रति आकर्षण पैदा होता है; उसके प्रति सम्मोहित होता
|| हे ओर सुखद अनुभूति प्राप्त करता है। व्यक्ति चाहे वह कलाकार हो अथवा
ए. | साहित्यकार सभी सौन्दर्य की खोज मे लगे रहते हैं। सौन्दर्य की प्रेरणा . समस्त
त्ररणाओं से -सर्वोपरि है। यही कारण है कि प्रत्येक कलाकारः साहित्यकार सौन्दर्य का
` || आराधक, ख्ष्टा ओर द्रष्टा होता है। साहित्य हौ अथवा कला का क्षेत्र सभी में सौन्दर्य
| का महत्व अधिक रहा है। विश्व. साहित्य भी सौन्दर्य चित्रण से परिपूर्णः है।
| सौन्दर्य की परम्परा आधुनिक नहीं है। प्राचीन काल में ऋग्वेद से लेकर
` || वाल्मीकि द्वारा प्रवाहित. “कीं. गई. सौन्दर्य ' क्री धारा का विकासमान प्रवह भक्त
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