मृदुला गर्ग के कथा साहित्य में नारी चेतना | Mrudhla Garg K Katha Sahitya Mein Nari Chetna
श्रेणी : हिंदी / Hindi
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
148 MB
कुल पष्ठ :
260
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)सृजन प्रक्रिया मानवीयता की जाधारभूत प्रक्रिया हे इसके ॥ | ¢
ध्यम से हम अपनी पीड की परिकल्पना भी कर सकते हैं, तथा ॥
| 0 |
| | ५ {
॥ | ८ |
|| ८
दी की सोच को भी समञ्च सकते है । जिस प्रकार हम |
वार के सदस्यों के लिये उनके विकास या वृद्धि के लिये || ¦
चितित रहते हँ उसी प्रकार से हमारा समाज या समाजशास्त्र ॑ ।
समाज व उसकी व्यवस्था के लिये दृढ़ 1
संकल्पित होते हैं । इसी कारण से हम अपने बच्चों में अच्छे 1 | [+
। यही सुजन प्रक्रिया हमारे ऊपर ॥ 9
काफी प्रभाव डालली है जर समाज की प्रक्रिया मेँ भी अंतःकरण | ॥ 6
तक प्रभाव डालती है । मृदुला जी के कथा साहित्य की विशेषता | 1. 4 ¦
भी यही हे कि उन्होंने कथानकों या पात्रों के माध्यम से हमें उन ं |
स्थितियों या परिस्थितियों का बोध कराया है जो हमारे विकास के | | 1
लिये ओर समाज के लिये आवश्यक भी है । मनुष्य समाज में व
रहकर समाज की सोचे एसा बहुत कम देखने को
भाज का युग केवल अपनी स्वार्थ सिद्धि तक ही सिमट कर रह |
गया है । इस विषय पर उनके विचारों मे एकांकी परिवर्तन को ह| `
कार किया गया । यजन प्रक्रिया मे अन्तःप्ररणा कं किसी |
दिव्य मानवोपरिआधार का निषेध कर हम निःसदेह साहित्य या (|
User Reviews
No Reviews | Add Yours...