मृदुला गर्ग के कथा साहित्य में नारी चेतना | Mrudhla Garg K Katha Sahitya Mein Nari Chetna

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Mrudhla Garg K Katha Sahitya Mein Nari Chetna by अपर्णा गुप्ता - Aparna Gupta

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सृजन प्रक्रिया मानवीयता की जाधारभूत प्रक्रिया हे इसके ॥ | ¢ ध्यम से हम अपनी पीड की परिकल्पना भी कर सकते हैं, तथा ॥ | 0 | | | ५ { ॥ | ८ | || ८ दी की सोच को भी समञ्च सकते है । जिस प्रकार हम | वार के सदस्यों के लिये उनके विकास या वृद्धि के लिये || ¦ चितित रहते हँ उसी प्रकार से हमारा समाज या समाजशास्त्र ॑ । समाज व उसकी व्यवस्था के लिये दृढ़ 1 संकल्पित होते हैं । इसी कारण से हम अपने बच्चों में अच्छे 1 | [+ । यही सुजन प्रक्रिया हमारे ऊपर ॥ 9 काफी प्रभाव डालली है जर समाज की प्रक्रिया मेँ भी अंतःकरण | ॥ 6 तक प्रभाव डालती है । मृदुला जी के कथा साहित्य की विशेषता | 1. 4 ¦ भी यही हे कि उन्होंने कथानकों या पात्रों के माध्यम से हमें उन ं | स्थितियों या परिस्थितियों का बोध कराया है जो हमारे विकास के | | 1 लिये ओर समाज के लिये आवश्यक भी है । मनुष्य समाज में व रहकर समाज की सोचे एसा बहुत कम देखने को भाज का युग केवल अपनी स्वार्थ सिद्धि तक ही सिमट कर रह | गया है । इस विषय पर उनके विचारों मे एकांकी परिवर्तन को ह| ` कार किया गया । यजन प्रक्रिया मे अन्तःप्ररणा कं किसी | दिव्य मानवोपरिआधार का निषेध कर हम निःसदेह साहित्य या (|




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