आधुनिक जैन कवि | Adhunik Jain Kavi

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Adhunik Jain Kavi by श्रीमती रमा जैन - Shree Mati Rama Jain

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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त्रिपरीकी भाँकी २६ श्री बीरेन्द्रकमार, एम० ए० वीर-वन्दना ३० श्री रविचन्द्र दादि' भारत मसि . .' ३१ श्री “रत्नेन्दु; फरिहा प्रकृति गीत . . मनन 4 व ' ३२ शी श्रक्षयक्मार गंगवल .. रे मन । उद्वोघन हलचल ३३ श्री चम्पालाल सिघई 'प्रंदर' दीप-निर्वाण चंदेरी प्रगतिप्रवाह ३४ शी मुनि श्रमुतचच शुषा अन्तर बढ़े जा . जीवन शं ३१५ श्री घासीरामं “चन्द्र फलसे ३६ पंडित राजक्मार, शसाहित्याचा्थः श्राह्वान पुष्ठ न र१४ . . १९१६ . , ११६ .., ११० , ११५ >. . ११५, . १२० ५५ ६१९ . १२३ . १२३ „ शृण ` „=+ १२९४ . १२६ , . १२७ १ १२९८ . * १३१ «« १३१ . . १३२ . . १३३ ..„ १३४ .. १३४ - १३६ - १३६




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