अमृत-बचन | Amrt-bachan

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Amrt-bachan by डिस्कोर्सेज आँन - Diskorsej On

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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भभिका । [ ९९ किया का हाल समभ में थाने से चेतन्यशक्ति के इजहार का हाल किसी कदर समभ मं धा सकता है । श्रलावा इसके जैसे चुम्बकशक्ति का दो करियार््चो यानी धारो के क्षेत्र सें फेलने और क्षेत्र के नुझतों का चुम्बक की जानिच ाकषण होने की मारफ़त इजहार होता है ऐसे ही चेतन्यदाक्ति का भी दो झड्डों की मारफ़त, जिनको सुरसधार और सब्दधार कहते हैं, इजहार हुआ और इन दो श्रङ् ही सं निर्मल येतम्य-देश फे छः स्थान जाहिर हए । निर्मल चेतन्य-देश के छः स्थानों की उत्पत्ति शर उनके बासियों की देहों का हाल ब्रयान करके काल श्रौर श्राया की धारो के चहूर श्रोर ब्रह्माण्ड के स्थानो की रचना का सु्स्सल चिक्र किया गया शरोर निहायतत खूबसूरती के साथ पुरूष प्रकृति, बरह्म ` भाया, निर्जन ज्योति वगैरह की पेदायश का धयान करके तीन गुणो, पाच त्सवा श्रौर पश्चीस प्रकृतियो की तशरीह की गई 1 ब्रह्माण्ड ` देश के बयानं के घाद पिर्ड-देश की रचना श्चोर उसके नियमों का जिक्र किया गया शोर श्रावागवन श्रोर परलय व महां प्रलय के विषयो पर रोशनी डालते हुए सनुष्य-शरीर की महिमा का सुफस्सल बयान करके दिखलाया गया कि कथो ब्रह्मपुरुष श्रौर सच्चे कुल्ल-मालिक का .इसी शरीर में श्रवतार होता है । न्त में मनुष्य-जीवन ` की चार अवस्थाद्यों की उपसा से चार युर्गों की झवस्थाद्मों का रा




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