धातुदौर्बल्य | Dhatudorbaly
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
4 MB
कुल पष्ठ :
158
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यह रोग होनेका इतिहास 1 उ
कहते है, फ्योकि स्कूल, फालेज और होस्टलोके वियार्थियोंम यह
घीमारी विशेष रूपसे फेल रही है ।
यह रोग होनेका इतिहास ।
इस वामारीका सबसे पहला और सपसे प्रधान कारण है--
हस्तमेथुन । मालूम नहीं कि मनुष्य जातिकों इस तर सत्यानाश
करनेकी पद्धति फिस समय भर किसके द्वारा खोज निफाली
गयी थी । वाइ़विलमें लिखा दे-सबके पहले (00001 ) ओननने
इस पापफा प्रचार किया । हस्तमेशुनका अंगरेजी नाम 0
है । यद “भोनन” से ही बना है । प्रीक, रोमन, अपने चतुर देवता
मर्सरी (516० ) के ऊपर यह ढोपारोपण फरते है; फि उसकी
सुन्दरी खो एको ( ०10 ) जच सर गयी, तब राजा पेनके लिये
उन्हेनि शस क्रियाका आविष्कार किया ; पर इसमें तो को सन्देह
ही नदीं हे, फि यह् पाप वहुत दिनोसे मानव-समाजमे अपना जाट
फेलाये हुए है।
आज फलफे समयमें--भर्थात् वत्तेमान फालमें. देशसे घ्रह्मचय
उड गया है, पिजतीय लित्तामे घर्मका स्थान नहीं है । तरल भर
लघुमति युवकोरो वौर्यस्त्तापर था शके सम्दन्धमे कोई भी
उपदेश नहीं डिया ज्ञाता। थे सदजमें ही चुरी सगतमें पढ़कर यह
पाप-कार्य फरने लगते है। इसका जो सोफ़नाक नतीजा होता है.
उसकी धारणा भी नहीं की ज्ञा सझती । शगर फिंसी तरह धारणा
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