धातुदौर्बल्य | Dhatudorbaly

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Dhatudorbaly by प्रफुल्लचन्द्र भड़ - Praphullachandra Bhad

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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यह रोग होनेका इतिहास 1 उ कहते है, फ्योकि स्कूल, फालेज और होस्टलोके वियार्थियोंम यह घीमारी विशेष रूपसे फेल रही है । यह रोग होनेका इतिहास । इस वामारीका सबसे पहला और सपसे प्रधान कारण है-- हस्तमेथुन । मालूम नहीं कि मनुष्य जातिकों इस तर सत्यानाश करनेकी पद्धति फिस समय भर किसके द्वारा खोज निफाली गयी थी । वाइ़विलमें लिखा दे-सबके पहले (00001 ) ओननने इस पापफा प्रचार किया । हस्तमेशुनका अंगरेजी नाम 0 है । यद “भोनन” से ही बना है । प्रीक, रोमन, अपने चतुर देवता मर्सरी (516० ) के ऊपर यह ढोपारोपण फरते है; फि उसकी सुन्दरी खो एको ( ०10 ) जच सर गयी, तब राजा पेनके लिये उन्हेनि शस क्रियाका आविष्कार किया ; पर इसमें तो को सन्देह ही नदीं हे, फि यह्‌ पाप वहुत दिनोसे मानव-समाजमे अपना जाट फेलाये हुए है। आज फलफे समयमें--भर्थात्‌ वत्तेमान फालमें. देशसे घ्रह्मचय उड गया है, पिजतीय लित्तामे घर्मका स्थान नहीं है । तरल भर लघुमति युवकोरो वौर्यस्त्तापर था शके सम्दन्धमे कोई भी उपदेश नहीं डिया ज्ञाता। थे सदजमें ही चुरी सगतमें पढ़कर यह पाप-कार्य फरने लगते है। इसका जो सोफ़नाक नतीजा होता है. उसकी धारणा भी नहीं की ज्ञा सझती । शगर फिंसी तरह धारणा




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