कार्यालयीन हिन्दी की प्रकृति | Karyalayeen Hindi Ki Prakrati

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Karyalayeen Hindi Ki Prakrati by चन्द्र पाल शर्मा - Chandra Pal Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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सरकार और सरकारी भाषा के लक्षण व्यक्ति जब तक चुप रहता ह तब तक उसके मानसिक, सास्थतिक या नैतिव स्तर वा कोई आभास नही होता परतु जब वह बोलन लगता है तो उसक अनेक गुणा या कमिया का जनुमान लगाया जा सकता है। शायद इसीलिए बृजभाषा म सवे ते भली चुप्प कहावत ने जम लिया होगा । वीरवल की कहानियां मं भी बीरवल द्वारा जपने पिता को अकबर व' समक्ष उपस्थित होन पर चुप रहने के निर्देश वी बात मिलती है । चुप रहना चाहे कितना ही अच्छा क्या न हो इससे न ता मानव जीवन चलता है और न सरकार या उसके कार्यालय चलते हू । इसलिए सामान्य भाषा वक्ता या लंयर की स्थिति वा दृश्य प्रस्तुत करती है और कार्यालयीन भाया सरकार की स्थिति या सरकार वे प्रमुख अभिलक्षणो को उजागर करती है। या भी वह सकत हू कि कार्यालयीन भाषा में सरकार वे प्रमुय अभिलक्षण प्रतिविबित रहते ह्‌ । कार्यालयीन भाषा की इस स्थिति को जानन से पहले सरकार क प्रमुख अभिलनणा को जान सेना उचित होगा । सरकार वै तीन अभिलक्षण उल्त्रखनीय ट-- (1) सरकार एक अमूत सत्ता ह्‌ । (2) सरकार की रचना उच्चाधिश्रम पर आधारित हु ! (3) मरकारम कर्ता (वैण) नपथ्य म रहता ह्‌ 1 प्रथम अभिलमर्णं के जनुनार मरकार एक अमूत मत्ता ट । इतका जय यद्‌ हबिसस्वार किसम हू वहा हू * कौन ह * आदि प्रश्ना वे उत्तर स्पष्ट नही ह। यह सडक सरकार न बनवाई ट यहे लघु उद्योग सरवारी सटायता से लगा है। इन वाक्या मे यह दिखाई नही दता कि सडक वास्तव सम किसने बनवाई, या सरवारी गहायता विसन दी । दूसर अभिलक्षण मे “उच्चाधिक्म की वात कही गर्हे जां स्वत स्पष्ट है । सरकार म एक वे ऊपर एवं अधिकारी की अ्यवस्या रहती ह्‌ । राष्टपत्तिम आरंभ होवर यह श्रम दूर-दूर तर जाता है । तोमर अभिलक्षण म कता के नपथ्य मं पहन का तात्पय यह हं कि दाय सम्पन्न हा जाता टं प्रतु यह पता नही चलता कि वास्तव भे फिम अधिकारी ने यद काय विया 1 उदाहरण पे लिए “मुने यह्‌ निदेश हमा है' मे निदेश दने वाला अधिकारी फाइल म ही रह जाता रै भौर उममे छोटा जधि- बारी अपने हस्ताक्षर मे उस निदश को मसौदे के रूप सम जारी करता ह। वार्यालयीन हिंदी वी प्रहति से सरकार के थे तोना अभिलसण प्रनिविदित रहत = ॥




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