नित्य नंदिनी | Nitya Nandini
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
189
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)ष्ट
शमर प्रतिक्रिया की सीमा पर निर्भर र देगी *। घद्द मनुष्य, जिस
ष्म आत्मा स्व सर वदो वस्तु की उत्तेजना के प्रति ठीक ठीक,
शक्ति श्रौर गम्भीरता क साय त्रिया कर सकेश्यौरजिसकी
इच्छा शक्ति उस फी खात्माको बदीं पर फेन्द्रित रख सके,
शवश्य दी सब स वड़ा कलाकार द्ागा। आत्मा और वस्तु
क इस परिणाम दी स्र वढ़ी-वढ़ी कलाश्ों की रण हुई दे ।
झात्मा सौर चस्तु फी पृथक सत्ता है तथा कलारति कीमी
पृथक सन्ता हैं, ठाक उसा प्रकार जैस माता क पेट में चच्चा
माता स सम्यद्ध द 1 माता क विना नहीं जी सकता, किन्तु
उस का सास्तत्व माता स मिन्न दी दे 1
श्रत्तपव किसी भी छति फा फलात्मक सूरय निर्धारित कर
न कर [लिय दम यद देखना चाहिए कि उस के झन्द्र वे गढरी
मानसिक श्रजुभूतिया द या नदीं, जिन का भतीक वद कृति
यनाया गया द । क्रलारूति र मूल म पक प्रताति, प्क नुभव
का दाना झावरयक् द।
ससफत क लक्षणकारो न रख का श्रभिव्यजना का उत्तम
काव्य का लक्णु ठीक दी साना। कथि , भावना फे ाधिफ्य दी
क कारा लिखता दै, श्रपनी उस्र भावना को पाठकों के
ज्ञगामा चाहता दै।उसर की फति उस मावना का पाल दै लिप्त
चा स्थायी रूप ख जीवित स्सन क लिये उख > श्रपने काव्य
घछीरचनाक्ती धी 1 मचुप्यमे भक्तिदीसखर चसष्ुएमावोंका
बाध्ययन कर के उन्होंने स्थायी भायों की उद्दीत्त द्वारा द्सर'
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