नित्य नंदिनी | Nitya Nandini

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Nitya Nandini by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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ष्ट शमर प्रतिक्रिया की सीमा पर निर्भर र देगी *। घद्द मनुष्य, जिस ष्म आत्मा स्व सर वदो वस्तु की उत्तेजना के प्रति ठीक ठीक, शक्ति श्रौर गम्भीरता क साय त्रिया कर सकेश्यौरजिसकी इच्छा शक्ति उस फी खात्माको बदीं पर फेन्द्रित रख सके, शवश्य दी सब स वड़ा कलाकार द्ागा। आत्मा और वस्तु क इस परिणाम दी स्र वढ़ी-वढ़ी कलाश्ों की रण हुई दे । झात्मा सौर चस्तु फी पृथक सत्ता है तथा कलारति कीमी पृथक सन्ता हैं, ठाक उसा प्रकार जैस माता क पेट में चच्चा माता स सम्यद्ध द 1 माता क विना नहीं जी सकता, किन्तु उस का सास्तत्व माता स मिन्न दी दे 1 श्रत्तपव किसी भी छति फा फलात्मक सूरय निर्धारित कर न कर [लिय दम यद देखना चाहिए कि उस के झन्द्र वे गढरी मानसिक श्रजुभूतिया द या नदीं, जिन का भतीक वद कृति यनाया गया द । क्रलारूति र मूल म पक प्रताति, प्क नुभव का दाना झावरयक् द। ससफत क लक्षणकारो न रख का श्रभिव्यजना का उत्तम काव्य का लक्णु ठीक दी साना। कथि , भावना फे ाधिफ्य दी क कारा लिखता दै, श्रपनी उस्र भावना को पाठकों के ज्ञगामा चाहता दै।उसर की फति उस मावना का पाल दै लिप्त चा स्थायी रूप ख जीवित स्सन क लिये उख > श्रपने काव्य घछीरचनाक्ती धी 1 मचुप्यमे भक्तिदीसखर चसष्ुएमावोंका बाध्ययन कर के उन्होंने स्थायी भायों की उद्दीत्त द्वारा द्सर' ४& रत्‌ घड दफा ए०८6 त पाट 20 पणतु १६ पा] @६6 पणा तेकृलप्त छण = पह हश्णेण्छनाकफ 21४6 0 १५6 10७ पणटप्ड पण्ड ३7०य७€वे, ॐत छ हट ताफ्ह८णए 2800 पुण्मीध (कु ० (एड द८2८५0ाइ,




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