ज्ञानानन्द रत्नाकर [भाग 2] | Gyananand Ratnakar [Volume 2]
श्रेणी : जैन धर्म / Jain Dharm
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
105
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१४... ज्ञानानन्द रलाकर ।
नाशि दृशनावरण सब देखत ज्षेय नहानमे हैं॥ ` _ कल
नाचि मोहनी क्षायक सम्यक युत इट् निन शदधाणमेह॥
अंतराय के नाञ्च षङ अनंत युत्त निवोण में हैं ॥ १
आयु कर्म के नाश भये रहें भषट् तिद स्न हैं
से विश्वके ज्षेय प्रति भासत जिनके ज्ञान में हैं ॥ १ ॥
नाम केमे हनि भये अराति वंत रीन निज ध्यान मैं हैं ॥
गोत कयं हन अगु रषु.राजत थिर असमान मे है ॥
नाशि वेदनी भये अतराधित रूप गग्र सुख खान में हैं ॥
अपार गुण कै पंन भंदैतन की पष्टिवान मे है ॥
अनर अमूर अत्यय पद् धारी सिद्ध शिद के म्यान मेहै॥
, वे विश क जय प्रति भातत जिन के ज्ञान में है ॥२॥
अक्षय अभय भसिर गुण मेंडित भाषे वेद पुराण में हैं ॥
देह नेह विन अटङ अधिचर् आकार पुमान मैं हैं ॥
पष हेय परति भप्त एसे ज्यों दपण दरम्यान मे ॥
ञान रस्मि न ज्यो किरणे भाद विमान म हैं ॥
गुण प्रयाय सुदित युगपत दर्ये लानत माप्न महै ॥
सवे विश्व के जय रत भासत जिन के ज्ञान में हैं ॥ ३॥
तीथकर धुण वणेत जिनके जो प्रधान मतिमानेंहैं॥
स्थन मं न फते एण कदू पद्षान मे हैं ॥
यण जनते क षाम् नदीं ग॒ण एते ओर महान में हैं ॥
पन्य पुरुष पे जो एते धाएत शण निन कान मैं हैं ॥
नाधूराम निनभक्त शक्ति सम रहें ढीन गुण गान में हैं॥
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