ज्ञानानन्द रत्नाकर [भाग 2] | Gyananand Ratnakar [Volume 2]

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Gyananand Ratnakar [Volume 2] by अज्ञात - Unknown

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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१४... ज्ञानानन्द रलाकर । नाशि दृशनावरण सब देखत ज्षेय नहानमे हैं॥ ` _ कल नाचि मोहनी क्षायक सम्यक युत इट्‌ निन शदधाणमेह॥ अंतराय के नाञ्च षङ अनंत युत्त निवोण में हैं ॥ १ आयु कर्म के नाश भये रहें भषट्‌ तिद स्न हैं से विश्वके ज्षेय प्रति भासत जिनके ज्ञान में हैं ॥ १ ॥ नाम केमे हनि भये अराति वंत रीन निज ध्यान मैं हैं ॥ गोत कयं हन अगु रषु.राजत थिर असमान मे है ॥ नाशि वेदनी भये अतराधित रूप गग्र सुख खान में हैं ॥ अपार गुण कै पंन भंदैतन की पष्टिवान मे है ॥ अनर अमूर अत्यय पद्‌ धारी सिद्ध शिद के म्यान मेहै॥ , वे विश क जय प्रति भातत जिन के ज्ञान में है ॥२॥ अक्षय अभय भसिर गुण मेंडित भाषे वेद पुराण में हैं ॥ देह नेह विन अटङ अधिचर्‌ आकार पुमान मैं हैं ॥ पष हेय परति भप्त एसे ज्यों दपण दरम्यान मे ॥ ञान रस्मि न ज्यो किरणे भाद विमान म हैं ॥ गुण प्रयाय सुदित युगपत दर्ये लानत माप्न महै ॥ सवे विश्व के जय रत भासत जिन के ज्ञान में हैं ॥ ३॥ तीथकर धुण वणेत जिनके जो प्रधान मतिमानेंहैं॥ स्थन मं न फते एण कदू पद्षान मे हैं ॥ यण जनते क षाम्‌ नदीं ग॒ण एते ओर महान में हैं ॥ पन्य पुरुष पे जो एते धाएत शण निन कान मैं हैं ॥ नाधूराम निनभक्त शक्ति सम रहें ढीन गुण गान में हैं॥




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