चन्द्रसखी और उनका काव्य | Chandra Sakhi Aur Unaka Kabya

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Chandra Sakhi Aur Unaka Kabya by पद्मावती 'शबनम' - Padmavati Shabnam

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( १७ ) च अवहेलित श्रौर सामाज के उ वर्ग से शोषित, इनका जीवन मूर्तिमान हाहाकार बन उठा था। कोरा बुद्धिवाद, या करमकारड या झालौकिंक शक्तियों की प्राप्ति विशिष्ट व्यक्तियों मात्र का श्राकर्षण बन सकती थी परन्तु जनता को जीवन की रसात्मकता नहीं दे सकती थी । इस समय एक ऐसे रागात्मक धर्म की श्रावश्यकता थी जो जन-जीवन कौ समस्त दुःल-ददं से छुड़ा कर श्रपने मे तन्मय कर ले | युग की इस श्रावश्यकता को अपनी साधना से प्रदी करने वाले साधक स्वयं उच्च-चर्ग की क्रिया-कलाप का शिकार वन गये तथापि श्रपने भौतिक जीवन के दुःख जौर दैत्य की तथा विडम्बनपूरं व्यक्तिगत लं नाश्नो कि सर्वथा श्रवहेलना कर श्रपनी साधना मे पूर्ववत्‌ तन्मय रदे | १ 4 # ट ८ श ॐ भि [ < अम-जञ। के {लयं नाल उन ८0 इन साचा त ॐअ16 र ) ५1




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