ग्रामीण विकास में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की भूमिका | Gramin Vikas Men Kshetriy Gramin Bank Ki Bhumika
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
37 MB
कुल पष्ठ :
324
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)का फल था। हिल्टन यंग आयोग ने सिफारिश की थी कि, मुद्रा ओर ऋण नियन्त्रण के
लिए कार्यो का द्विभागीकरण ओर उत्तरदायित्व का विभाजन समाप्त होना चाहिए * रिजर्व
बैंक ने चौथे दशक के अन्तिम वर्षो मे जो मुख्यता कार्य हाथ में लिए, उनमें से एक था
उत्कृष्ट और पर्याप्त बैंकिंग एव ऋण विन्यास को आधुनिक ढंग से निर्मित करना है इस
प्रयोजन के बैंकों के पर्यवेक्षण और नियन्त्रण हेतु बैंकिंग कम्पनीज अधिनियम 1949
(1965 में जिसका नामान्तरण बैकिंग विनियमन अधिकनियम के रूप में हुआ) के अन्तर्गत
रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया को व्यापक अधिकार सौंपे गये। इस अधिनियम के महत्वपूर्ण
प्रावधान बको द्वारा न्यूनतम सौविधिक चलनिधि ओर न्यूनतम नकद प्रारक्षित निधि रखने
बैंकिंग कम्पनियों के निरीक्षण और पर्यवेक्षण तथा अन्तिम लेखा प्रस्तुत करने से सम्बन्धित
है| इस अधिनियम में 1949 और 1965 के बीच किये गये मुख्य संशोधन समापन प्रक्रिया
भारतीय बैंकों के कार्यालय विदेशों में खोलने तथा नीति सम्बन्धी मामलों के बारे में बैंकों
को निर्देश जारी करने का अधिकार रिजर्व बैंक को देने से सम्बन्धित है। जो गैर
अनुसूचित वाणिज्य बैंक न्यूनतम पूँजी अपेक्षाओं से सम्बन्धित मानदण्डों के अनुरूप खरे
नहीं उतरे अथवा जो बैंकिंग कारोबार को गैर-वबैंकिंग कारोबार से मिलाने पर निषेध का
पालन नहीं कर सके। ऐसे बहुत से बैको को रिजर्व बैंक ने बन्द करवा दिया। अन्य
अनेक बैंक मिला दिये गये। पुनर्गठन और समेकन की इस प्रक्रिया के परिणामस्वरूप बैंकों
की कुल संख्या दिसम्बर 1947 से 640 से घटकर दिसम्बर 1957 में 389 रह गयी |
भारतीय रिजर्व बैंक को सौंपे गये अधिकार नकदी प्रारक्षित अनुपात तथा संविधिक
चलनिधि अनुपात, इन दोनों के माध्यम से पूर्व क्रय को कम करने के मध्यावधिक उद्देश्य
के अनुसरण में इन्हें न्यूनतम संविधिक स्तर तक ले आया है। नकदी प्रारक्षित अनुपात में
8. भारतीय रिजर्व बैंक बुलेटिन जनवरी, 1989 पृष्ठ-18
9. योजना नवम्बर 1997 पृष्ठ-7
10. भारतीय रिजर्व बैंक बुलेटिन जनवरी, 1989 पृष्ठ-18,19
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