यजुर्वेदभाषाभाष्य भाग - 2 | Yajurvedabhashabhashya Bhag -2
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
49 MB
कुल पष्ठ :
662
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
No Information available about दयानंद सरस्वती - Dayanand Saraswati
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)यज्ुचद् भ श्य ४५३३
एसत्कार प्राप्त ( श्रायच्छुद्धयः) दुरो कोशुरे कमो स रोकने बार्लो को (नभः) अन्न देते
(च) श्रोर ( अस्यद्कयः ) दुर्घो पर शल्लादि को छोड़ने बलि (वः) तुम्हरे लिये ( नमः)
सत्कार कर्ते हैः ॥ २२॥
भावाथे:--राज चोर प्रजा के पुरुषों को चाहिये कि प्रधान पुरूष आदि का वस्र भौर
अन्नादि के दान से सत्कार करें ॥ १९ ॥
नमे विसृजद्धय इत्यस्य इर ऋषिः । शद्रा देवताः । निचुद्तिनगतीच्न्दः ।
निषादः स्वरः ॥
फिर भी बद्दी वि० ॥
और
सुजदूण्यों विदृध्यद्स्यव्य चौ नो नमः स्वपद्भ्यो जाग्र
९ मनक
4
3,
# जि
४५१
द्भ्यश्च वो नयो नः शयनिभ्य चसीनेभ्यश्च वो नमो नमस्ति-
छंद्भ्छौ धाव॑द्भ्यय् डो न॑ः ॥ २६ ॥
पद।थैः- ह मचुष्यो तुम देखा खवको जजास कि इम लोग (विख्जद्भ्यः) शञ्श्चो
पर शस््ादि छोड्ने चालला को (नमः) अन्नादि पदाथ (च ) रोर ( विद्धयदुभ्यः) शसो
स शर्या को मारते हुड (वः) तुभको ( नमः ) न्न ( स्वपदुभ्यः ) खोते इर्यो कै लिये
(नमः) चच्न ( च ) भ्नौर ( जाब्रदुभ्यः ) जागते दुर ( वः ) तुम को ( नमः ) शन्न (शया-
नेभ्यः) निद्रालु को (नमः) अन्न (च ) और ( आसीनेभ्यः) आसन पर बेटे हुए
(षः) तुम को ( नमः) अन्न ( तिष्ठदुभ्यः ) खद हुरो को (नमः) रन्न (च) और
( घाबदुस्य: ) शीघ्र चलते हुए (व! ) तुम खोगें। को (नमः) अन्न देवेगे ॥ २३ ॥
भावाथैः-- गृहस्थो को चाहिये कि करुणामय वचन बोल श्र अन्नादि पदार्थ देके सतम
भ्राणि्ये( को सुखी कर्ये ॥ २२ ॥
नमः समाभ्य इत्यस्य कत्य ऋषिः । रुद्रा देवताः । श्री इन्दः ।
धैवतः स्वरः ॥
फिर भी वष्ठी बि० ॥।
नस ससास्य: समापंतिभ्यख् चो नमो नमो श्वेभ्योर्वपतिभ्यश्य
यो नमो नम॑ आव्याधिनीम्धो विविध्यन्तीभ्यश्व वो नमो नम ठग
णाभ्यस्तृ ४डतीभ्य॑सश्व वो नभः ॥ २४॥
पदाथः-- मन्यो को सव के प्रति पेच कष्टक चादिये कि इम लोग (सभास्यः) न्याय
आदि के पकाश से युक सियो क! (नमः) खत्ार (च) चोर (खमापविभ्यः) खमाश्ना
User Reviews
No Reviews | Add Yours...