भारतवर्ष का भूगोल | Bharatvarsh Ka Bhugol
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
328
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)तीसरा अध्याय ९५
साक्षी हैं । अगर समुद्र की गहराई २०० गज कम दो जवे तो लका
से भी रौर श्रा प्रायः ५०० मील तक सूखी मूमि निकल चावे ज
हम भारतवष से पैदल पहुँच सकते हैं: ।
परच॑तीय प्रदेश
विशाल दिमालय पवत दुनिया भर के पहाड़ों से कहीं अधिक
उँचे ह । इनकी पवंत-शरेणी पामोर ( वामे दुनिया या संसार की छत )
से आरम्भ पोती है। दक्षिण-पूर्व की ओर सुड़ने के क़ारण इस पव॑त
श्रेणी का चाकार तलवार के समान हो गथा है । इस उत्तरी पब॑तीय
प्रदेशा स॑ हिमालय की एकदी श्रेणी नहीं है। वास्तव में यहाँ कई
३--पहलगाँव का पवतीय दृश्य और पुल
पत-श्रेणियां हैं. । इनके बीच य दुगेम दिमायार और डरावनी
घाटियों हैं । इस पव॑तीय प्रदेश के दक्षिण म सिध शरोर गङ्धा का
उपजाऊः प्रौर नीचा मैदान है । इसके उत्तर सें तिव्वत का प्राय: तीन
मील उँचा वीरान और एथरीला पठार ड! इस प्रकार संसा के मैदान
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