भारतवर्ष का भूगोल | Bharatvarsh Ka Bhugol

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Bharatvarsh Ka Bhugol by रामनारायण मिश्र - Ramnarayan Mishra

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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तीसरा अध्याय ९५ साक्षी हैं । अगर समुद्र की गहराई २०० गज कम दो जवे तो लका से भी रौर श्रा प्रायः ५०० मील तक सूखी मूमि निकल चावे ज हम भारतवष से पैदल पहुँच सकते हैं: । परच॑तीय प्रदेश विशाल दिमालय पवत दुनिया भर के पहाड़ों से कहीं अधिक उँचे ह । इनकी पवंत-शरेणी पामोर ( वामे दुनिया या संसार की छत ) से आरम्भ पोती है। दक्षिण-पूर्व की ओर सुड़ने के क़ारण इस पव॑त श्रेणी का चाकार तलवार के समान हो गथा है । इस उत्तरी पब॑तीय प्रदेशा स॑ हिमालय की एकदी श्रेणी नहीं है। वास्तव में यहाँ कई ३--पहलगाँव का पवतीय दृश्य और पुल पत-श्रेणियां हैं. । इनके बीच य दुगेम दिमायार और डरावनी घाटियों हैं । इस पव॑तीय प्रदेश के दक्षिण म सिध शरोर गङ्धा का उपजाऊः प्रौर नीचा मैदान है । इसके उत्तर सें तिव्वत का प्राय: तीन मील उँचा वीरान और एथरीला पठार ड! इस प्रकार संसा के मैदान




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