भारतीय - आर्य भाषा और हिन्दी | Bharatiy - Aarya Bhasha Aur Hindi

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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विभिस्त भवषानकूल ` १७ को यह्‌ सूभः सबमे पहले कलक्ता मे १ पवी शसाग्दी मे टी सस्त का श्रध्ययन करते समय श्राई थी । संस्कृत भाषा के विषय मे उनका उत्साह बढता गया, रौर उन्होने कहा कि संस्कृत का गठन श्रद्भृत रूप से सुन्दर रै, यह ग्रीक की पूर्णता से भी बढ़कर है, लेटिन से भी परिपुष्ट है, श्रौर इन दोनो भाषाध्रो से सस्कृत कही श्रधिक सुसंस्कृत भाषा है ।' साथ ही इन तीन भाषाश्ों की घातुभनी एवं व्याकरण मे श्रत्यधिक साम्य श्रनुभव करते हुए उन्हे प्रतीत होने लगा था कि वास्तव मे उनका उद्भव किसी एक ही भाषा से हुभा होगा, जो कि झब लुप्त हो चुकी है । सर विलियम जॉन्स का यह भी विचार था कि जमंन, गाँशिक शझ्ौर केल्टिक तथा प्राचीन पारसीक भी उसी कुल की भाषाएँ हैं । जॉन्स की यह धारणा वास्तव में एक श्रयन्तं चमत्कारपू्णं सत्य एवे वैज्ञानिक कल्पना सिद्ध हुई, श्रौर कुछ समय पदचात्‌ वह भापषा-कुलों वा सिद्धान्त प्रति- यादित करने में पथ-प्रद्शक हुई । साथ ही एक ही उद्गम-स्थानवाली विभिन्‍त भाषाओं के नुलनात्मक श्रव्ययन मे धीरे-धीरे प्राधुनिक भाषा-विज्ञान का जन्म हुआ । यह कहता श्रतिकयोत्रित न होगी कि प्राधुनिक माषा-विज्ञान का जन्म उसी घड़ी मे दग्रा, जबकि सरकृत, ग्रीक, नेटिन तथा गाँयिक एव प्राचीन पारसीक भाषाश्रोकी कही कुलसे सम्भूत होने कौ चमत्कारपूं सूः सर बिलियम जोन्स के मस्तिष्क में झाई । य्रोप, एजिया, अफ्रीका, आस्ट्रेलिया, श्रशिनिया एवं अमरीका मे जिन विभिन्न भाषा-कुलो से सम्बन्धित भाषाणं तथा बोलियां बोली जाती है. उनमें सबसे महत्त्वपूर्ण भारतीय-ग्रायं-भाषा ही है । पृथ्वी पर इसके बोलनेवाले लोगो कौ सस्या सबसे भ्रधिक है, श्रौर इसके अन्तगंत कुछ ऐसी श्रत्यन्त प्रभाव- श्राली प्राचीन एव भ्र्वाचीन भाषाएँ झा जाती हैं, जिनका स्थान मानव की प्रगति के इतिट्ास मे पिछले पच्चीस सो वर्षों से सर्वाग्र रहा है । ससार में श्रन्य भी कई बडे भाषा-कुल है, उदाहरणाथ--3८प:160 सेमिटिक-कुल (भश्रसीरी बाविलोनी, *हिब्रू , *फीनीशियन , *सी रीयक्‌, अरबी, *साबीयन्‌, *इधियोपियन श्रौर हब्सी ) , परभण हैमिटिक-कुल (*प्राचीन मिस्री, *कॉप्टिक, त्वारेग, कबाइल श्रौर प्रन्य 867४८ बर्बर' भाषाएं, सुमाली, फुलानी इत्यादि ) , 5:0०-1५९187 चीनी- तिब्बतो या भोट-चोनो (सिनिक या चीनी, दै या था भ्र्था्‌ स्यामी, न्मा ब्रह्मी, बोद्‌ या भोट या तिन्बती, भारत-ब्रह्म सीमान्त प्रदेशीय भाषाएं इत्यादि ) ; (1811 उराली (मग्यर, फिनु, एस्थ, लाप, बोगृल्‌, श्रोस्त्याक्‌); 7187८ श्रल्टाई (तुरी _ भाषाएँ, मगोली भौर मच्‌); 29४10197 व्राविङी (तमिल, मलयालम्‌, कन्नड, #जे रत भाषारदै।




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