पतझड़ कब तक | Patjhar Kab Tak

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Patjhar Kab Tak by विशन मतवाला - Vishan Matawala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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अनुक्रम जय जय जय हे भारती जगती है जीवन भरने को सुपधिक घाव बहुत ही गहरा है कल जहां दीवाली थी कंसे दोप जलायें साथी किस तरह मनायें दीवाली भदमसौर व्यवस्था कहां है वे खुदिया मैं मानव हूँ आदमी को प्यार दें बुक चुका हृदय का ही दीपक वीरों के प्रति धरती हिन्दुस्तान की साधियों धाम लो मशाल साथी चलो ये जमी महान चलना हो होगा 'पले चलो करनी-कथनी मे अन्तर हो---? श्रम पुजारियो उठी प्यारा देश हमारा है फिर दे मोवा आया है जाग जवान बया हें कुन्वा हमारा 17 18 20 21 23 25 27 29 31 33 35 3 38 40 42 १३ 45 46 47 49 51 53 55 5 49




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