पद्माकर पद्मानियल काव्यकलाकुशलेश | Padmakar Paddhaniyal kavykalakushlesh
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
13 MB
कुल पष्ठ :
358
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)र प्याकूर-भी
दाक्षिणात्य विबुधा - इन दाक्षिणात्य विबुधो मे महाकवि पद्माकर
के पुवंज मधुकर भह थं जिनके पूत कानाम गगारामथा -
तिहि तनज सु गगाराम जान।
सनमान ल्व काशी सुथान ।
से यह पता चलता ह कि गढामडला अनेके वाद उनके पुत्र गगाराम ने
कारी मे सन्मान प्राप्त किया और वे वहीं रहने लगे,
तिनके सुत्त भे तत्सदृश गगाजल अभिराम ।
नामधेय दिख्यात महिमडल गगाराम ॥२
गंगाराम के पुत्र मोहन तथा उनके पुत्रका नाम गोविद था।
मोहन सुनन्द {तहि धौ गुविन्द
विख्यात विबुध वृध कुमृद चन्द 11४1३
इसका समथंन मनहरण छद की इन पवितियो से भी होता हं -
तिनके सुवन भये मोहन महत मति
तासु सुत श्रीमत श्री गोविद सुनामाह्ं।
तिनके सुवन शुभ प्रगट जनारदन
देव द्विज सेवी गणनिघि सिधिकामा हुं ॥४
पद्याकर कवि के पौत्र गदाधर भट्ट ने अपने ग्रन्थ ' केसरसभाविनोद *५
मे जनादन का परिचय इन दो उल्लेखनीय ओौर महत्वपुणं पद्यो मे इस प्रकार
किया ह - |
गोविन्दनन्द पडत प्रवीण
मडित सुबुद्धि प्रतिभा नवौन ।
जगविदित जनादन तायु नाम
किय सप्तशती सुरभिराधाम ॥५।।
श्नी रामचन्द्र नखशिख सुवे
निय सुध्यान पुजा विश्चेप ।
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