उत्तर प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र में मानवाधिकारों की दशा एवं दिशा | U.p. Ke Bundelakhand Kshetra Men Manavadhikaron Ki Dasha Avam Disha

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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गरिमा से सम्बन्धित हैं, और जिन्हें अन्तर्राष्ट्रीय संविदाओं में शामिल किया गया । जिन्हें भारत के न्यायालयों द्वारा लागू किया जा सकता है। ये भारतीय समाज की विशेष परिस्थितियों में पूर्णतः सार्थक हे!“ मानवाधिकारों को बहुधा मूल अथवा मौलिक अधिकार भी कहा जाता है| मानव अधिकारो की सामान्यता यह परिभाषा दी जा सकती है कि यह वह अधिकार है जो हमारी प्रकृति में अन्तर्निहित है, तथा जिनके बिना हम मनुष्य के रूप में जीवित नहीं रह सकते मानव अधिकार तथा मूल स्वतन्त्रता हमं अपने मानवीय गुणों का विकास, आध्यात्मिक एवं अन्य आवश्यकताओं को सन्तुष्ट करने मेँ सहायक होती है। संयुक्त राष्ट्र चार्टर के अन्तर्गत मानवाधिकारो को महत्वपूर्णं स्थान दिया गया है ओर संयुक्त राष्ट्र का मुख्य उदेश्य यह हे कि वह॒ .. प्रत्येक राष्ट्र से मानवाधिकारों तथा मौलिक स्वतन्त्रता को बिना जाति, भाषा, | लिंग धर्म आदि भेदभाव के लागू करवाने का प्रयास करे | अतः मानवाधिकारों की सार्वभौम घोषणा का हमारे संविधान निर्माताओं पर भी गहरा प्रभाव पड़ा। इस घोषणा के अधिकतर अधिकारो का सार हमारे. संविधान के भाग गा ओर भाग 1४ मेँ दिये गये मूल अधिकारों ओर राज्य के ¦ नीति निर्देशक तत्वों में समाहित है जिनके विषय में डा राधाकृष्णन ने कहा ` कि यै हमार अपने लोगो के प्रति वचनवद्धता और सथ्य संसार के सोथे |




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