समकालीन विश्व इतिहास | Samkalin Vishav Itihas

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जलवा समकालीन विश्व इतिहास या अनुभूति है। इतिहास लिखना वास्तव में एक बड़ा नाजुक काम है जैसा कि ड्यूरैंट ने कहा है कोई मूर्ख व्यक्ति ही सैकड़ों सदियों के इतिहास को मात्र सौ पृष्ठों में समेटने का जोखिम उठाएगा। इसलिए इतिहास के क्षेत्र को सिकोड़कर समकालीन युग तक सीमित करने तथा उसकी व्याख्या के लिए कुछ व्यावहारिक अनुमानों एवं परिकल्पनाओं का पता लगाने की जरूरत महसूस की गई। क्रोसे भी इससे अधिक के लिए सहमत नहीं हो सकता था जब उसने घोषित किया कि संपूर्ण इतिहास ही समकालीन इतिहास है। आधुनिक मानदंडों को दृष्टिगत रखते हुए इतिहासकारों ने इतिहास की जो व्याख्याएं की हैं वे फिलहाल सही प्रतीत होती हैं। इस संदर्भ में वोल्तेयर ने इतिहास का दर्शन अभिव्यक्ति का निर्माण किया। अन्य इतिहासकारों में कोलिंगवुड ने इतिहास के इस दर्शन को दो रूपों में स्पष्ट किया जिसमें पहला था किसी समस्या-विशेष का एक विशेष अध्ययन और दूसरा था नए ऐतिहासिक ..सत्यों और पुराने परंपरागत्त सिंदूधांतों के बीच के अंतर का पता लगाना। समकालीन इतिहास के लेखन का उद्देश्य है उन ऐतिहासिक घटनाक़मों को स्पष्ट करना जिन्होंने 20वीं शताब्दी के दौरान विशिष्ट रूप से जीवन को प्रभावित किया है। पहले ये घटनाक्रम आधुनिक यूरोप का इतिहास अथवा अतर्राष्ट्रीय संबंधों का इतिहास जैसे उन व्यापक विषयों का हिस्सा थे जो समकालीन इतिहास के विवेच्य विषय थे। एक विषय-विशेष के रूप में समकालीन इतिहास के अध्ययन में अनेक अनोखी समस्याएं उपस्थित होती हैं। इस अध्ययन में ऐसे अनेक के के के . ४ प्रश्नों का उत्तर खोजना पड़ता है जैसे-- समकालीन इतिहास को कहां तक इतिहास का ही एक रूप माना जाए अथवा समकालीन इतिहास की परिभाषा क्या है या समकालीन इतिहास और आधुनिक इतिहास में कया अंतर है और अंततः इसके विशेष लक्षण या विशिष्टताएं क्या हैं। समकालीन इतिहासकार आमतौर पर अपने ग्रंथ के आरंभ में यह बताते हैं कि पुरानी दुनिया .. के विघटन के क्या कारण थे जिनकी वजह से नई दुनिया का आविर्भाव हुआ। इसलिए समकालीन इतिहास के वर्ण्य-विषय में अधिकांशत दो विश्वयुदूधों के बीच की दुनिया का वृत्तांत प्रस्तुत किया जाता है जिसमे अनेक घटनाएं शामिल हैं जैसे - पेरिस शांति सम्मेलन के फलस्वरूप हुई शांति संधियां फासीवाद और नाज़ीवाद का उद्भव साम्यवादी तथा पूंजीवादी गुटों के बीच संघर्ष जो 1945 से बराबर चलता रहा और सोवियत संघ तथा यूगोस्लाविया का विघटन जिसके परिणामस्वरूप एक-धुवीय विश्व का आविर्भाव हुआ। इस प्रकार संक्षेप में समकालीन इतिहास विश्व के समकालीन युग का ही इतिहास है।. किंतु समकालीन इतिहास की सीमाओं का निर्धारण कैसे किया जाए? इसका एक तर्कसंगत उत्तर यह हो सकता है कि यह वहां से शुरू होता है जहां आधुनिक इतिहास खत्म होता है। इसलिए समकालीन इतिहास को इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है कि समकालीन इतिहास वह है जो उस काल का हो तथा उस अवधि का अभिलेख प्रस्तुत करता हो जिसमें इतिहासकार जीवित रहा है। बैराक्लो के अनुसार समकालीन इतिहास वहां से शुरू होता है जहां वर्तमान विश्व की वास्तविक समस्याएं सर्वप्रथम दुश्य रूप ग्रहण




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