अधिकार का रक्षक | Adikar Ka Raksak
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
2 MB
कुल पष्ठ :
77
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)जाप ३३
माँ ! हस मानव के रक्त को व्यर्थन जनि देगे।
माँ ! सानव रक्त से हम नयी मानवता को जन्म देंगे ।
मों । हम सारे हिन्दुस्तान मे अशोक दी अशोक पैदा कर देंगे !
मो ! तुम नये हिन्दुस्तान की मों हो ।
( सदषा फलावतो उठ कर उन्हे देखती है । उसकी आँखें वमक उठती
दामोदरस्वरूप धीरे-धीरे श्रशोक के बालों में उंगली फेरते हैं । श्रमतराम
दर द्राते हैं । )
श्रमृतराम--चाहर पार जनता दै यदु ! अशोक को ले चलो !
दामोदरस्वरूष--( उठ कर ) चलिए डाक्टर साहव हम तैयार हैं !
( और ये स्थिरगति से यार चले जते द । उन्दोंने छुदनी उठाकर
ले पो ली हैं । रामदास उनके पीछे जाता दै । उसकी द्रांखें गीली हैं 1)
(पर्दा गिर जाता है )
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