अधिकार का रक्षक | Adikar Ka Raksak

55/10 Ratings. 1 Review(s) अपना Review जोड़ें |
Adikar Ka Raksak by अज्ञात - Unknown

लेखक के बारे में अधिक जानकारी :

No Information available about अज्ञात - Unknown

Add Infomation AboutUnknown

पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

(Click to expand)
जाप ३३ माँ ! हस मानव के रक्त को व्यर्थन जनि देगे। माँ ! सानव रक्त से हम नयी मानवता को जन्म देंगे । मों । हम सारे हिन्दुस्तान मे अशोक दी अशोक पैदा कर देंगे ! मो ! तुम नये हिन्दुस्तान की मों हो । ( सदषा फलावतो उठ कर उन्हे देखती है । उसकी आँखें वमक उठती दामोदरस्वरूप धीरे-धीरे श्रशोक के बालों में उंगली फेरते हैं । श्रमतराम दर द्राते हैं । ) श्रमृतराम--चाहर पार जनता दै यदु ! अशोक को ले चलो ! दामोदरस्वरूष--( उठ कर ) चलिए डाक्टर साहव हम तैयार हैं ! ( और ये स्थिरगति से यार चले जते द । उन्दोंने छुदनी उठाकर ले पो ली हैं । रामदास उनके पीछे जाता दै । उसकी द्रांखें गीली हैं 1) (पर्दा गिर जाता है )




User Reviews

No Reviews | Add Yours...

Only Logged in Users Can Post Reviews, Login Now