चौराहे पर | Chaurahe Par
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
1.180 GB
कुल पष्ठ :
218
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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उसकी गंध श्रास-पास बहुत दूर तक फैल गई, लेकिन उसे सू घ कर
लोगो ने एसे अद विगाड़ा जसे बह मोरी को बदबू हो ।”'
नारी की अवैध प्रणय-लीला पर इससे अधिक लाक्षणिक पंक्तियी मैंने
श्रन्यत्र नदीं पढ़ीं ।
रोतो मु मालुम है कि लेखक ने बंकिम बाबू कभी नहीं पढ़ा,
फिर भी पन्द्रह तारीख़' का प्रथम परिच्छेद बंगला के उस श्रमर कला-
कार को चुभती शेली का सफल श्रनुकरण-सा हो उठा है। भारत में
शिक्षा भौ र्मेहगी है श्रौर उस पर हमारे मध्यवगं की बेबसी !--दोनों
ही, कथानक के नवीन न होते हुए भी, उसे मौलिक बना देती हैं । फिर
भावों का प्रवाह लेखक का श्रपना है ।
* “मनुष्यता की रूपरेखा” और “मातृत्व की कलक' दोनों ही रेखाचित्र
सफल हैं । वे प्राणमय भाषा में लिखे गए हैं । वे हमें जैसे जान बूसकर
कुरेदते हैं, नोचते हें श्रौर कोल की तरह चुभते हैं और हम खीजते नहीं,
पसीज उठते हैं । आज की सभ्यता की कृत्रिमता के कलंक जो प्रदर्शित
करते हैं वे !
(फिर उधर ' सेकंड क्लास कहानिर्यो मे फरस्टं है ।
शालिनी, बी० ए० “चौराहा” की सबसे हल्की कहानी है, जो अपने
जानदार सवादु पर जीतो है 1 शिष्ट च्रौर परिष्टृत विनोद् कौ भी स्वासी
इुट उसमें है । शेष कुछ नहीं । पढ़कर दिल बहलाने की चीज्ञ ६ यह,
याद रखने की नहीं । शैली शवश्य ही अशिथिल है ।
राजा रानी की कथाओं और कोरे मनोरंजनमय उपदेशो क उदेश्य से
कद्दानी लिखने का युग बोत चुका है । श्राज के झधिकांश दिन्दी लेखक साधा-
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