कलयुगलीला भजनावली [अंक 10] | Kalyuglila Bhajavanavali [Ank 10]
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
611 KB
कुल पष्ठ :
26
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)एम १५)
सुनयो हमारी हे जगवन्धू ॥ टे हितुदीनदयार खामी ॥१॥
दुख जल पूरण कठजुग सागर । न्या प्ट मंन्नपरार खामी २
तीर्थ राज इष गै सिखर पर । बंगढो करत सरकार खामी |
यट सुनकर हम जनी दको । उपजो टै इक्वभपारखामी ४ |
आन हमारी राज आधिकारी ! कौना सनत
तुम स्री सव्र इत ही । तप हे तारणहार खामी ६
यह छ निज दू दाशन कारण लीनीहे शने तुष्धार खामी ७
कीचक अजन से तुम तारे । ठेना हमारी भी संभार खामी ८
रक्षा करो अब अन धरम की । सांबी हे तेरी सरकार खामी ९
न्यामत भारत जात रसातऊ । बेगी से लो ना उभार स्वामी १०
१५
वक्र ॥ रुप कमी नहीं हारू दोरे पंडिता |
धर्म कभू नहीं हारो मोरे साई ॥ टेक ।
धर्म के कारण श्रीरखुगई । त्याग दई थी सियारानी सुतदाई १
सीता सती जा अगनछंडपं। कूद पढ़ी थी मन इक न लाई ९
धर्म हेत लाखों सतियनने। दस्ख सहे ओर जान गंवाई । ३।
सेठ सुदरशेन धर्म वचायों । जाए चढ़ें थे शूली दुख दाई । ४ ।
बावन रप क्रियो विश्नू मुनी । जा बरक धर अरुत जगाई ५
मानहुण सुगी धमं चञ्जयो । कष्ट सहे चन्दनम जाई ॥ ६॥
कलजुगम अब शेख सिखा पर। देखोतो कोन विपाति बनआएं७
जो इस गिर पर बंगढे बनेंगे। सगरी ही जन घरम एत जाई <
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