कायाकल्प प्रयोग की विषय सूची | Kayakalp Pryog ki Vishay Suchi

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Kayakalp Pryog ki Vishay Suchi  by पं. क्षेत्रपाल शर्मा - Kshetrapal Sharma

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जा (७ ) विस्तृत विवेचन करने के लिये तो एक न्य पुस्तक तयार दोजाने का भय दे झतः हम यद्दा पर संक्षेप में दी इसकी विवेचन किये देते हैं । प्रत्येक प्राणी को दीघकाल तक जीवित रद्दने की मददत्वाकक्षा रहती है । किन्तु मानव समाज वुद्धिवादी हे यद्दी कारण है कि सनुष्य के हृदय में '्रघिक समग्र तक जीवित रहने की 'झभमिलापा सदेव बनी रददती हैं । इस विज्ञान की रचना पूर्वेकाल के ऋषि मुनियों ने इस झाशय से की थी कि प्रत्येक पुरुप इसके द्वारा स्वस्थ्य 'और दीघंजीवन व्यतीत कर जन कल्याण के लिये पना ज्ञान रूपी फन संसार को पंथ कर जाय जिससे उनका तो कतंव्य यज्ञ पूर्ण होजाय '्ौर भविष्य में प्रजा 'पना जीवन सदैव स्वस्थता पूर्वक अधिक समय तक व्यतीत कर सके । इन प्रयोगों की रचना करने को उनका यही उद्देश्य था । श्रीराम 'और श्रीकृष्ण के समय का इति- दस अवलोकन करने से पता लगता है कि उक्त अन्थों के 'नेकों पात्र हजारों वर्ष जीवित रददे थे । यद्द सब इन्हीं प्रयोगों का तो फल था । कक 'आायुवेद्‌ अन्थों में श्राज कल भी ऐसे बहुत उदादरण मिलते हैं । उदादरण के लिये च्यवन ऋषि को दी ले लीजिये । जिन्दोंने भ्ावले छवलेदद की चदौलत दी झपनी जजेर अवस्थी में नवयोवन प्राप्त किया था यद्द झवलेद्द छाज्कल भी च्यवन




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