प्रभाती | Prabhati
श्रेणी : काव्य / Poetry
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
40 MB
कुल पष्ठ :
91
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
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१
॥
=
जागो जागो निद्रित भारत
त्यागो समाधि हे योभिराज
नेगी फूको, दो शंखनाद्
उम का डिमडिम नव-निनाद्
© ~~
= ड
= ~
हे दाकर के पावन प्रदेशा
खोलो त्रिनेत्र तुम लाल लाल
कटि में कस लो व्याघ्रांबर को
कर में त्रिशूल लो फिर संभाल !
@ ~~
विस्मरण हुआ तुमको केसे
वह पुरय पुरातन स्वणंकाल ?
अपमान तुम्हारे कुल का लख
हो गई पावंती भस्म क्षार !
वह दक्ष प्रजापति का महान
मख ध्वंस हुआ, भर गया शोर ,
कप उठी घरा, कंप उठा व्योम ,
सागर में लहरों प्रलयरोर !
किस रोषी ऋषि का करुद्ध शाप
है किए बंद स्द्ति-नयन छोर ?
जागो मेरे सोने वाले
अब गई रात, आ गया भोर!
भी.
मी
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