फैण्टेसी की सृजनात्मक भूमिका और मुक्तिबोध की कविताएं | Faintesee Ki Srijanatmak Bhumika Aur Muktibodh Ki Kavitaen
श्रेणी : साहित्य / Literature
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
24 MB
कुल पष्ठ :
283
श्रेणी :
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लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)घटना हो या न हो अथवा चाहे स्वयं उन प्रतीकों और बिंबो का अस्तित्व हो या न हो, 'फ़ैण्टेसी'
है।- जैसे दिवास्वप्न।”!2
'साइमण्ड्स' के विचार मे '़रैण्टेसी' व्यक्तिगत संपर्कों से जुड़ी होती है और
आत्मकेन्द्रित होती है। इसके माध्यम से व्यक्ति अपने को अनुपयुक्त परिस्थितियों से बचाने का
प्रयास करता है। यह पूर्णतः चेतन-प्रक्रिया नहीं है बल्कि अचेतन की हल्की पर्ता में ढकी हई
चेतन-प्रक्रिया है। इसीलिए इसे अवचेतन तथा अचेतन-प्रक्रिया कहा जा सकता हे ।13
मेलानिक कलेन ने 'फ़ैण्टेसी को अवयस्क और परिपक्व अवस्थाओं मे विभाजित
करते हुए कहा है कि 'फैण्टेसी' शब्द व्यक्ति के अचेतन अनुभवों और संवेगों के आन्तरिक
संसार से जुड़ा होता है। यह मनुष्य के व्यवहार का सबसे प्रभावी स्रोत है। अवयस्क की
'फ़ैण्टेसी” अपूर्ण इच्छाओ की पूर्ति से जुड़ी होती है। प्रारंभिक 'फ़ैण्टेसी' स्पष्ट रूप से आन्तरिक
तर्क होती है, रचनात्मक एवं विध्वंसात्मक दोनो रूपो मे परिपक्व अवस्था के साथ 'फ़ैण्टेसी' का
विस्तार होता है। यह साधारण एवं असाधारण दोनों तरह के मनुष्यों मे वास्तविक रूप से देखने
को मिलती है ओर यही व्यक्ति के अन्तर व्यक्तित्व के संबंधों को आकृति देती है ।14
विश्व साहित्य शब्दकोशः मे फण्टेसी' को इस प्रकार व्याख्यायित किया गया है -
फेण्टेसी' की क्रियाशीलता में ेसा वातावरण या चरित्र उपस्थित होता है जो मनुष्य जीवन की
सामान्य परिस्थितियो मे असम्भव माना जाता है ...... फ़ेण्टेसी' में भौतिक शास्त्र के नियमो की
सीमा टूट जाती है। पशु या मानव जीवन का अंतर मिट जाता है। मनुष्य स्वभाव की
आधारशिला हिल जाती है ओर काल्पनिक जीव समस्त काल्पनिक मूल्यों को अव्यवस्थित कर
देते हँ ।' 1
विलियम जेम्स ने अपनी प्रसिद्ध पुस्तक - द प्रिंसिपल आफ साइकोलाजी
(1890) के सस्टरीम आफ थाट नामक अध्याय मेँ %ैण्टेसी' से घनिष्ट रूप से संबधित तथ्यो
का वर्णन किया है- उन्होने कल्पनाशीलता के उत्पादक ओर स्मरणीय पक्ष पर ध्यान देते हुए
कहा है कि-- ““फरण्टेसी' सम्भवतः पल भर के लिए घटित होने वाले किसी उदीपक के प्रति
एक अनुक्रिया है, जो निरंतर गतिमान विचार प्रवाह मे एक जटिल साहचर्य प्रक्रिया को प्रेरित
करती हे।”14
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