महामति प्राणनाथ की कीरतन | Mahamati Prannath Ki Kirtan
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
12 MB
कुल पष्ठ :
241
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)१7५
मध्ययुग मे आरंभ ले ही ज्ञौक मानस पर श्रौमद भागवत की मीहिमा छा
লনা ঘা प्रभात पडा श । गहा'मीत =| पुष्ट गण के एरमस अग्रध्य का
प्रेमाश्रय स्वल्प , ्दिघ्य एंठ चचिन्मय श्रृंगार की पुस्तत करने के शाशि-ण
শীলা ভা विराट एंव अनन्त स्वन््प भी बनाए रखा। জী सूरण व्रदञ् के
स्प में वेद उपीनिकदद एंव भागत के परम न्नियश्रमक कदैत स्वरूप है तहीं ने
श्याम या पाम रूप में कतेब धर्म ग़्थी एंव सास्कीत परम्परा के पैगम्लर
यत हादी भी है जिन्होंने सामी परमारा का सूत्रणतल भी किया था। লী
_ प्रकार कुरान के सिढान्त की भी स्वीकार करते हँए मेदामीत ने एल
प्रकार की उत्त्पीत्त कौ লালা है ब्रहमात्माएं उनके अंग में एगटी' है।
देवों या फीरशतो' को सीष्ट नर से हुडँ | गैंसा'र उत्पान्त तोन तरह कौ
पैदाइश है | उच्च जीत कौखदा ने दो हाथी से बनाया है, मध्यम एक
हाथ से और निकृष्ट कन ” होजा कहने से माया उत्पन्न हुये | माया
के दास जोब अपने कर्मो' के पलस्वरूण जन्म मरण के चकर के फििरते हैं ।
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धाम है । जीव सूृष्ण्टि তু सृष्टि के सम्रान ট্রল জট আীলল ঈ विशतीं
पे मक्त वं प्रप्त करतौ है ।
साष्ट रचना का कारणं अकर्ण एत कवीवर्धता ठै নিক্সন ও
भी महामीत प्राणनाथ के विचार बड़े मौलिक तकीएर्ण एव हृदयग्रा'हो' हैं ।
उनको प्रकाशं गथकौ अणौ मे स्पष्ट है कि जब क्षर ब्रहूमाण्ड को रचना
नहीं हह थौ तौ अवनाशौ नीक परम धामे बक्षरातीत परमात्मा
अपनो आनंद थैंग श्याम और उनकी बारह हजार कला {गौ
आत्माओं ह के साथ आनंद लौला मँ मग्न थौ उनके सत्य स्वेस्प अक्षर
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