नव पदार्थ भिक्षु विचार ग्रंथावली [भाग २] | Nav Padarth Bhiksu Vichar Granthawali [part 2]

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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[१३ ] ७०६, ५--वन्च-हेतु एृ० ७१०, ६--आख़व, सवर, बन्ब, निर्जरा और मोक्ष पृ० ७१९४, ७--वन्ब पुदुगल की पर्याय है पृ० ७१५, ८--द्रव्य बन्च और भाव वन्ध पृ० ७१५, ६--वन्ध के चार भेद पृ० ७१६, १०--क्रर्मो की प्रकृतिया और उनकी स्थिति प° ७१६; ११--अनुभाववन्य ओर कम फल पृ° ७२३) १२--प्रदेन व्य १० ७२६) १३--वन्यन-मुक्ति प० ५२६ ] ६-मोष्च पदाथ पृ० ७२ १-५ ললা पदाथ £ योध (दो° १); मुक्त जीव के कुछ अभिवचन (दो० २-५), मोप-मुख (ग० १-५), आठ गुणो की प्राप्ति (गा० ६), जीव सिद्ध कहाँ होता | ? (गा० ७), सिद्धों के आठ गुण (गा० ८-१०), मोक्ष के अनन्त सुख (गा ११-१२), सिद्धों के पन्द्रह भेद (गा० १३-१६), सब सिद्धों की करनो और सुख समान है (गा० १७-१६), उपसहार (गा० २०) । टिप्पणियाँ [१-पोक्ष লনা पदार्य हैं पु० ७४४०, २- मोक्ष के अभिवचन पृ० ১৮?) *-सिद्ध और उनके आठ गुण पृ० ७४२, ४-सासारिक सुपर और मोक्ष-सुखा की तुलना ए० ७४८, ४० पन्द्रट प्रकार के सिद्ध पृ० ७४०, -_লীচা-লান আও सिद्धा वी] समानता पृ० ८५२ | ४०--जोप-अजीय पृ ४ ০৩28 ০০ রি ८




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