आर्य पुनर्गठन | Aarya Punargathan

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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15 भई, 1987 के अजमेर के भासवीस कहे जाने याले तथा दमानन्द कॉलेज, झजमेर के सम्वापक प्राचार्य भी दत्तातेय বাজী কী कांयड़ी विश्व विधासय, হিং हारा “गोवधेत शास्त्री पुरस्कार ” से यत माह की 19 अप्रेंस को सम्मानित किया गया। “मोवर्णस शास्त्री पुरस्कार प्रायं॑ जगत्‌ में अस्यम्त भौरव एवं सम्मान का प्रतीक माना जाता है इस पुरस्कार से प्रतिवर्ष सब्ध प्रतिष्ठित 2-3 आये जयत के विद्धातो को सम्मानित किया जाता है तथा प्रत्येकं को अलम पशव अधिनम्दन-पत्र भी प्रदान किया जाता है। इप बार यह मौरव- पूछें पुरस्कार एव. सम्मान एक समपित व्यत्ति तव के धनी तथा श्राय सम्राज एव महि वयानम्द के प्रति जनम्यनिष्ठा रखने वाले तथा ''मनसा वाचा, कमणा धारयस्व को जीवन मे धारण करने वासे हिन्दी एब अप्रेजी के प्रकाश्ड विद्वान, श्री दतता- जेय जी वाब्ले को भी दिया भया है । यह अजमेर के भावं अयत्‌ के लिये गौरव की बात है। श्री दसात्रेप पाब्ले को इससे पूर्व भी दमानन्द कॉलेज अजमेर की रजतं अयन्तीके प्रसर पर तत्का- सीन उपराध्ट्रपति श्री मोपासस्वरूप पाठक हारा उनकी शैक्षणिक सेवाओं के लिए सम्मानित भौर भभि- नदित किया जा चुका है। परन्तु इस बार एक विश्व विशालय द्वारा उनकी विद्ठता एवं पाडिस्य को स्वीकार कर सम्मानित करना विशेष महत्व रखेता है । यह ज्ञातष्य है कि उन्हे गह पुरस्कार गत 19 भ्रप्रेल 1987 ई को नई दिल्‍ली के ताल- ब्टोरा स्टेश्यिम मे भूतपूण रक्षा मत्री श्री विश्वताथ श्रतापसिह की भ्रष्मक्षत मे आयोजित विशेष समारोह में प्रदान किया गया था | श्री, इसातेय वाब्जे अतंमान में धार्य समाज अजमेर के प्रधान, भा समाज लिक्षा सभा (जिसके অন্নর্মর डी ए बी. कलिल, जियासाल टीचस॑ ट्रनिय कॉलेज तथा डी ए वो स्कूल धादि जैसी 14 शिक्षण सस्‍्थायें सचालित है) के बरिष्ठ उपप्रध्ात, निराशण्रित बालक বাজি काश्च) का पालन पोषशा एव शिक्षण करने कोली चस्था दयानन्द বাল सदम की प्रवेग्ध स्मिति के प्रधान, दण्डियन रेड ऋस सोसायटी জিনা शाखा पंजमेर के ेयरमैन, धाय॑ प्रतिनिधि सभा राजस्थान के बरिष्ठ सपत्रधाम, सार्वदेशिक সা प्रतिनिधि सभा के सदस्य, आये प्रादेशिक प्रतिनिश्त सभा के अतरथ सभासद, डीएवी प्रर समिति नई दिल्ली प्रायं बुनर्मठन, पालिक भज्मेर की विशिष्ट प्रतिमा का सम्मान के अतरगं सभाषद, सावभौम भाय॑ समाज शिक्षण सस्था परिषद्‌ के सन्री, भ्रबमेर बिला सहायता प्राप्त शिक सस्का प्रबन्धक घण के अध्यक्ष, सा्थेजनिक शिक्षर सस्था परिषद्‌ राजस्थान के उपप्रधान आदि कई विभिन्न रूपो में सेबा कार्य कर रहे हैं। इतनी सार्वजनिक सस्थाओं के कार्य में व्यस्त रहते हुये भी श्री दत्तात्रेय जी याज्ले मिरम्तर स्वाध्या- यशील रहते ह वथा धायं सदन्तो का पोचरा बरतने वा) पुस्तकों के जध्यमन करने के साथ-स।थ ইচ্ছা” विदेश के प्रसिद्ध लेखकों की चचित पुस्तके एवं নঙ্গ-ণঙ্গিকষার भी नियमित रूप से पढते रहते हैं । भाप एक अच्छे बकता झौर हिरम विचारक होने के साथ- 1थ सिद हूं त सेखक भी हैं। झाप द्वारा लिखित एब सम्पादित निम्न पुस्तकें विशेष उल्लेखनीय हैं । राष्ट्रीय चरित्र भौर एक्ता, आये समाज हिन्दू धर्म का सम्प्रदाय नही, भाय॑ समाज, मूर्ति पूजा अवे- दिक, धायं समाज कां भविष्य एक चेतावनी, सत्यां प्रका प्रन्थमाला {15 भास), भ्राचार सहिता, सेवा भ्रौर सधषं जदि! ध्म्रनी - मार्डन इण्डिया एण्ड हिन्दूहज्म, হব ट्रैफिक, आय समाज, हिन्दु विदऊंट हिन्दूइज्स । श्री वाब्ले की कीति का भ्रमर स्तम्भ श्यानम्द कानिज भजमेर है। इस कंलेजं के प्राप सस्वापक- प्राचाय ये तथा दसकी स्थापना एव निर्माण में पड़ित जियात्ाल जी को अनन्य सहयोग दिया था। जब झापने फार्यंभार ग्रहण किया था तब यह मात्र इण्टर क्लेज था, इन्होने अपनी लगन तथा कुशल प्रशासव से इसे 13 विभायषों में स्नातकोत्तर उन्नति बी चरम सीमा पर पःलाया । तबा कई विलाल भवनो का निर्माण करवाया । आपके उस समय इसका अनुशालन एव उत्तम परीक्षा परिखाम सवंत प्रशसनीय था । प्रापने कमंवीर प जियासाल जी की स्मृति मे जिया- साल टीचसे ट्रेनिम कॉलेज, जिया- लास कन्या सैक स्कल भादि भी स्थापित करथाये । मोवधंन पुरस्कार प्राप्स करने पर हम “पाये पुनयठन परियार की ओर से भी दत्तात्रेय जी वाब्ले का हादिक अभिनष्दत करते हुए बधाई देते है तथा सर्वशेक्तिमान ईश्यर से उनके शतायु होने की कामना करते है। রি शसा জং ক विश्वविद्यालय का नाभ... ( पृष्ट 2 कालेष) का कार्यालय सब अजमेर में ही हैं । अजमेर में ही सुप्रसिद्ध लपु विश्व- विद्यालय का रूप लिए दयानद कॉलेज वया भारत की सबसे पुरानी डो. ए वी. स्केल तथा अस्य 15 शिक्षण सस्था में भी भ्रजमेर में ही हैं। ऋषि दयानन्द के जीवन काल मे स्वापित आयं समाज, अजमेर प्रान्त का सबसे पुराना ध्ार्य समाज भी यही है । बाल बिवाह निषेध कानून (शारदा एक्ट) के प्रणेता प्रसिद्ध इतिहासकार हर- विलासजी शारदा दयानद कॉलेज अजमेर के सम्धापक एवं 1939 के हैदराबाद के सत्याग्रह में स्पेशल তুল भेजने वासे महान्‌ जाय॑ नेता पढित कर्मंवीर जियालास, देशभक्त कु चाद- करण शारदा, रामविलासजी शारदा, रायबहादुर मिट्टनलालजी भार्भव, प्रसिद्ध नमाज सेवी डं भ्रम्जालासजी शर्मा जसे धायं पुरुषो को क्मस्वली अजमेर हो रहा है। अअमेर के प्रसिद्ध क्रान्तिकारी तेता प१डित ज्वालाप्रसाद शर्मा, भर्जुनलाल सेठी, विजयसिह पाथिक आदि का भी आय समाज तथा डीएवी स्वूल आदि से बहुत सम्बंध रहा है । भू पू प्रधानमंत्री हारा समर्थन - अजमेर मे दयानद त्रिश्वविच्चालय के विभार का समर्थन भारत के तत्कालीन प्रधानमत्री स्व श्री लाल- बहादुर शास्त्री ने भी किया था तथा 16 मार्च 1965 को देहली में एक साबंजनिक सभा मे स्व शास्त्रीजी ने झजमेर मे दयानद विश्वविश्यालय को स्थापना करने के विषय पर सहानुभूति पूर्वक विचार करने की भोषरा की थी। शास्त्रीजी का यह भाषण आकाशवाणी से भी प्रसारित किया गया था एवं समाचार पत्रों में भी प्रकाशित हुआ भा । वेक्षब्यापी समर्थन -- अजमेर में दयानद विश्वविद्यालय की स्थापना के समर्थन मे तत्कालीन সানী কী देक्ष्यापी समर्थेन प्राप्त हुआ था जिसके समर्थकों से भू पू रक्षामज्री बाई बी चौहान जते केन्द्रीय मत्रो, भनेक राज्यो के मत्री, राग्पपाल, उपकुलपति, ह्ाईकोट के के जज तथा ससद में सत्ता तथा विपक्ष के प्रमुख सासद सम्मिलित हैं जिनमे भारत के भू पृ न्यायाधीश श्री मेहरचन्द महाजन, आध प्रदेश के भ्र पू, राज्यपाल धी भीमसेन सण्बर, उड़ीसा के तत्कालीन राज्य- पाल श्री ए एन खोसला, बिहार के भू पू राज्यपाल माधव शी, पजन के भू पू क्षिक्षा मत्री श्री प्रमरनाथ विद्यालकार, पजाब के विश्वविधालय के भू पू उपकुलपति श्री सूरजभान, पजाब हाईकोर्ट के जज श्री टेकचन्द, पजाब के पुवं शिक्षा मत्री धीयक्षपाल केन्द्रीय मत्री श्री रामनिवास मिर्घा, भू प्‌ राज्यपाल श्रीनरहरि गाडगिल उ प्र के भू पू सजी श्री जनतप्रसाद रावत, भादि के नाम विशेष उल्लेख- नीय हैं । अंजमेर को जनता का समर्थन जय प्रजमेर मे दयानन्द বিশ” विद्यालय के प्रयास चल रहे थे तो उन प्रयासों का समर्थन अजमेर की जनता के विभिन्न वर्गों से भी मिला था, दयानद विश्वविद्यालय की माय को लेकर एक शिष्टमडल जिसमे अजमेर ब्यावर किशनगढ़ आदि भजमेर खड के सासद, विधान समा सदस्य, नमर पालिका, राजनैतिक दल के प्रतिनिधि सम्मिलित थे, 28 मार्च 1965 को राजस्थान के तत्कालीन राज्यपाल डॉ सम्(णॉनन्दजी के अजमेर झाने पर, दपानद बिश्व- विद्यालय की स्थापना के सम्बध मे ज्ञापन दिया भा। उस ज्ञापन १२ हस्ताक्षर करने वालों में अजमेर के तत्कालीन सासद मुकुटबिहारी लाल भाग व, मसूदा के राव नारायश्सिह्‌ मसूदा (तत्कालीन उपाध्यक्ष হাত विधानसभा।, तत्कालीन उपमत्री प्रभा पिधा, नमरपरिषद प्रजमेर के तत्का- लीन प्रध्यक्ष देवदत्तजी शर्मा, नगर सुधार न्यास के तत्कालीन प्रध्यक्ष कृष्णगोपास गर्ग, जिसा प्रमुख विश्वे- शवरताभ भार्यव,मा नि बोड के तत्कालीन अध्यक्ष सदमी लाल जी जोशी, राज प्रदेश काँग्रेस कमेटो के सदस्य पुरुषोतमदास कुदाल आदि सम्मिलित थे । जिनसे स्पष्ट है कि झ्रजमेर के जन प्रतिनिधियों का भी समर्थन इस विचार का पोषक है । प्रत राजस्थान सरकार से विनम्र अनुरोध है कि उपरोक्त सभी तथ्यों एव परिस्थितियों को द्रष्टिगत रखते हुए इस विश्वविद्यालय का नाम महँदि दयानद सरस्वती के ताम पर दयामद विश्वविद्यालय रखा जाये ।




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