अजगर करे न चाकरी | Ajgar Kare Na Chaakari

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Ajgar Kare Na Chaakari by सूर्यबाला - Suryabala

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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जी है काठना पागल कुत्ते का उर्फ देखना एक कला फिली को * नल श्७ हरी पहुंचे है, या जल्दी पहुंचे हैं, या ठीक समय से पहुंच है! जहाँ तक स्क्रीन का मवाल था, उसपर एक कचरा ढोनेवाली गाडी का दुश्य था ।...दुश्य यो था कि कचरा ढोनेवाली गाडी वार-बार आती थी और कचरा गिराक़ेर्‌चुदी4 जाती थी । अलवत्ता पास खडी एक सुर्गी कचरा टूंगने लगती-थी-+-उतत- लोगो” ने इसे सफाई और तरवकीपसंद डॉक्यूमेंटरी फिल्‍म समझा और देश मे मुर्मी तथा कचरे आदि की स्थिति पर बहस करने लगें। पर जब उनकी बहस से तग आकर पीछें की सीटवालों ने उन्हें घुडका, तब उनकी समझ में आ गया कि 'अमुक' कला-फिल्‍्म शुरू हो गयी है । उन्होंने ईश्वर को धन्यवाद दिया, क्योंकि न पीछे की सीट वाले घुडकते, न उन्हें पता चल पाता कि फिल्म शुरू हो गयी है। भस्तु-- इस बीच कचरेवाली गाड़ी सारा कचरा गिरा चुकी थी और स्क्रीत पर दो-तीन मिनट तक बिलकुल अँघेरा हो गया । ये लोग झलला उठे-यह भी या तमाशा हैं ! अभी शुरू हुए पॉच मिनट भी नहीं बीते कि मशीन खराब हो गयी इनकी * **चलो, मैनेजर के पास चलते है । 'तेकिन यार, मुर्गी की कुकडू-कूं सुनायी दे रही है । वही तो, इसका मतलब मुर्गी पद पर है, पर दिखाई जो नहीं पड़ रही, 'उच्ते दिखना चाहिए न !* “आप लोग चुप रहते है या नही?” पीछे की सीटों ने उन्हे फिर घुड़का, “मशीन में खरावी नहीं है, यह निर्देशक ने जानबूझकर फिल्म में इतनी देर के लिए अंधेरा कर रखा है । लेकिन क्यों ?' इफेक्ट देने के लिए ।' *कौन-सा इफेक्ट ?' 'जौन-सा भी पड़ जाये--कचरे का, मुर्गी का, या दोनो का । टोटल इफेक्ट ।* “हाँ, टोटल इफेक्ट ही होगा', उन लोगो ने एक-दूसरे को समझाया, 'तभी टोटल अँघेरा कर दिया है|” इस 'अमुक' कला-फिल्म की फोटोग्राफी के लिए कैमरामन को इंटर- नेशनल अवॉर्ड मिला है”, पीछे वाली सीटों ने आगे वाले नादानों को




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