राम वांग्मय भाग २ | Ram - Vangman Vol-ii
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
8 MB
कुल पष्ठ :
301
श्रेणी :
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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)राम-वनगमन ] [७
अयोध्या में--शाम की जन्मभूमि में और जहॉ सीता
प्राकर बसी थी वहा चुद्धिमती स्त्रियों का होना साधारण
बात है ।
स्त्रियों ने सोचा--रानी चाहे समझे या न समझे, पर
अपनी गॉठ की अक्ल गैवाना टीक नहीं है। अगर हम सब
ग्रलग-ग्रलग वातत करते लगगी तो किसी भी वात का फैसला
नहीं हो पाएगा । इसके अतिरिक्त ऐसा करने से हम वुद्धि-
हीना समझी जाएँगी । श्रतणच हम में से कोई चुनी इई सिर्यो
ही वात करें। शांतिपूर्वक वात करने से ही कोई तत्त्व
निकल सकता है |
इस प्रकार निश्चय करके नारीमंडली केक्रेयी के निकट
पहुँची । इस मडली में जो विशेष चुद्धिमती और केेयी की
सखी भी र्थी, वदी चानचीत करने के लिप नियत की गई शीं।
चह ककेयी से वात्त करते लगीं ।
कोई झादमी समझाने वाले की वात माने या न माने, मगर
समगझाने वाले को अपनी गांठ की प्रकल नहीं वानी चाहिए।
मतलब यह है कि जिसे समझाया जा रहा है बह कदाचित
न समझे तो भी समझाने वाले को अपना बये और पनी
शाति नहीं खोना चाहिए । प्रगर समझाने बाला चिद जाएगा
तो चह अपनी सांठ की चुद्धि गेया वेटेगा ।
समझाने बाली स्लिया समझाने का ढेंग जानती थीं । थे
पहले पहल कतयी के रील छ सराहता करने लगी! एफ्से
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