शांति के नूतन क्षितिज | New Dimensions Of Peace
श्रेणी : धार्मिक / Religious
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
36 MB
कुल पष्ठ :
435
श्रेणी :
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखकों के बारे में अधिक जानकारी :
इन्दुप्रकाश पाण्डेय - Induprakash Pandey
No Information available about इन्दुप्रकाश पाण्डेय - Induprakash Pandey
चेस्टर बोल्स - Chester Bowls
No Information available about चेस्टर बोल्स - Chester Bowls
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)+ বানি के नृतन क्षितिज
नैत्ाओ ने सोवियत स्स की प्रहसाकी होड लगा रखी थी। सम्यता की
आशाएँ साहसी रूसी सेना की योग्य पताकाओ पर अवलम्बित हैं,” ये शब्द
जनरल मैक-आर्थर ने १९४२ में कहें थे और यह भी कहा था कि, “इस प्रयत्न
की विशदता और महानता सारे इतिहास में महानतंम' सैनिक सफलता की
परिचायक हैं ।” १९४३ में स्तालिन से हुए अपने विचार-विनिमय की ओर
सकेत करते हुए राष्ट्राध्यक्ष रूजवेल्ट ने कहा था, “ मुझे विश्वास है कि हमारी
स्तानिल ओर रूसी लोगो के साथ अच्छी निभे सकेगी ।”
उनके हार के प्रतिपक्षी वेण्डल वित्की ने, जिनका विचार था कि श्री' रुज-
वेल्ट काहरा और तैहरान में अपने विचारों को काफी दूर तक नही पहुँचा
पाये थे, ऐसा महसूस किया कि युद्धोत्र सहयोग की सभावना है, क्योकि
रूसी भी हमारी ही तरह परिश्रमी और सीधे-सादे छोग हैँ और प्जीवादी
पद्धति के अतिरिक्तं अन्य सभी अमरीकी बातों के प्रशसक है। राकपफीलर
समारोह में अमरीकी महिला-सस्था गोल्ड स्टार मदर्स ने, सोवियत सरकार
को लाल सेना के शानदार युद्ध की प्रशसा में और रूस तथा इस देश
के युवकों के समान उद्देदयो के प्रतीक स्वरूप, एक रकाबी भेट में दी थी ।
१९४५ में उनकी मास्को-यात्रा के उपरान्त, जहाँ पर उन्होने केनिन स्मारक
की छत से रेड स्क्वायर परेड का सर्वेक्षण किया, सेना के जनरहू आइसनहावर
ने काग्रेस की समिति को बताया किं सयुक्त राज्य अमरीका से मित्रता जोडने की
अभिलाबा के समान और कोई बात रूसी नीति का मार्गदर्शन नहीं करती ।
” यहाँ तक कि वे अमरीकी भी, জী' विश्वव्यापी साम्यवादी भाभियान के
सिद्धान्तों को समझते थे, इस विचार से बहुत आश्वस्त हुए कि सोवियत नेता
तथा सैनिकं अन्त में व्यापक रूप से छोकतात्रिक नेताओं, विचारों, उदारता
तथा सफलताओं के प्रभाव के अन्तर्गत आ गये। क्या यह अनुभव अत्यन्त कट्टर
माक्सवादियो को धीरे धीरे कुछ शिथिल नही बना देगा? रूसियों का परदेश्षियों
के प्रति रूढ़िगत भय' यदि याल्टा में न दफना दिया जाता तो ”
विजय के दिन' व्हाइट हाउस' के चारों तरफ नमस्कार-मुद्रा में खडे
अमरीकी सैनिको (6. 3.) के परिवार, उनकी प्रेयसियों तथा सित्रों से
न केवरू यह सन्तोष ही परिरक्षित द्वोता था कि युद्ध पीछे छूट गया, बल्कि
यह विश्वास भी था कि शान्ति का भविष्य उज्ज्वल है। ऐसे वातावरण में
यह् कोई आस्व्यजनक बात नहीं थी कि कम से कम समय में लोग अपनी
तबवारे को हल, खराद और टाइपराइटरो जैसे उपयोगी यत्रों में परिणत
User Reviews
No Reviews | Add Yours...