हिन्दी - व्याकरण | Hindi Vyakarand

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Hindi Vyakarand by रामचन्द्र कुशल शास्त्री - Ramchandra Kushal Shastri

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पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश

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( ३ ) शब्दों से वाक्य बनते हं | जैसे - राम गया। मोहन रोटी खाता है- आदि । ६, वाक्य भाषा का मुख्य अह्ढ है । व्याकरण वाक्यो की रचना को ध्यानपूवेक देखने से ज्ञात होता है कि उनमें प्रयोग किये गये सब शब्द अलग २ विचारो को प्रगट करते हैं ओर उनमे अर्थानुसार परस्पर सम्बन्ध रद्दता है तथा जब एक ही विचार को अनेक रूपों में प्रकट किया जाता हे तो शब्दों के रूपो म॑ भी भेद हो जाता है। जैसे पत्ती उडते हैं। पत्तियों को उडाओ। पक्षियों ने उड़ान भरी इत्यादि । इससे विदित होता है कि स्पष्टरूप से विचारों को प्रकट करने के लिये शब्दों के प्रयोग तथा रूपों में साम- अस्य का होना तथा रूपपरिवतन के नियमों का ज्ञान होना आवश्यक है । हाथी आया। गाडी आई। आप जाते हैं। हम आते हे--आदि के बदले बहुत से लोग हाथी आई | गाडी आया आप जाते हो | हम ञ्राता है!--आदि बोलते ओर लख भी देते हैं, जो अशुद्ध है । लिखने तथा बोलने में भाषा का शुद्ध रूप में ही प्रयोग करना उचित हे | १. इन बातों को पूरा करना व्याकरण का काम है | इसलिये ४ व्याकरण उम्र शास्त्र को कहते हैं नो भाषा के शुद्ध रूप में प्रयोग करन के नियमों को समकाए । % व्याकरण (वि+आ+ऋक+करण) शब्द का अथ दे विभाग करके भलिभांति सममाना। व्याकरण मं भाषा करे नियमं का विभाग { अलग २) करके मलौ माति समफाया जातादे।




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