मैं एक मिया हूँ | Main Ek Miya Hu
लेखक :
Book Language
हिंदी | Hindi
पुस्तक का साइज :
3 MB
कुल पष्ठ :
146
श्रेणी :
हमें इस पुस्तक की श्रेणी ज्ञात नहीं है |आप कमेन्ट में श्रेणी सुझा सकते हैं |
यदि इस पुस्तक की जानकारी में कोई त्रुटि है या फिर आपको इस पुस्तक से सम्बंधित कोई भी सुझाव अथवा शिकायत है तो उसे यहाँ दर्ज कर सकते हैं
लेखक के बारे में अधिक जानकारी :
पुस्तक का मशीन अनुवादित एक अंश
(Click to expand)२५
বের ধা उनझ़े हाय से टिकट यापत्त॒ पूँ रेल घल दी भोर बजाय पुंस पार
करने प्रौर उस तरफ पहुँचने के में रेस को पथरी फाद कर दोड़ा बुरी तरह भोर
जो दिव्या मामत पाया उम्ो में दैंठ गया । भ्रव हॉपतेकाॉपते खिड़की से सिर
विशाल कर जो देसता हूं तो रेव तो प्लेटकरार्मे से बादर भौर खानम खड़ी है
सामान के साथ । बौरासाया हुप्ता ঝট ध्राया ही था, बस देखते ही उछल पडा ।
दरादा किस््य कि सिरक़ी सोसकर कूद जाऊँ मगर एक बड़े मियां बैठे थे मोटे
में । उन्होंने श्वायइ सोचा कि यह बावता है, लिद्वाजा मेरा हाथ पकड़ लिया ।
जल्दी में मटके पर ऋटके देता हें मगर हाय नहीं छूटता । बहु मे मालूम कया
शृ हैं भोर मै जया कहता हैं । खिड़की बन्द करते हुए उख्होने मुझे छोड़ा तो
নিত सोचते होड़ | दो-दीत ऋटके दिए लेकिन बह भना कहाँ हिलती ।
दूसरों से %द्षता है तो ये वजह पूछने हैं। यह सब देखते हो देखते हो गया वजह
बताई तो फिर बड़े मियाँ से हाथ पकड़ कर बिठा लिया और कहा: भ्राखिर
धमनी भंवराहुट क्यों है। भगले स्टेशन से तार दे देता भौर दुधरो गाडी से
वापस झा जाता ।
मेरी समझ में बात भा गई । कक कर फिर खातम को देखते की कोशिश
की | सवाल प्रायां कि ठीक है ऐसा हो चुका है । उस बार जब रह गया धा
तो खानम चली गई थी । बाद में उसने कहा था कि मैने गलती को ! प्रगते
स्टेशन पर उतर कर तुम्हें तार दे देती भौर तुम भा जाते 1” *তীক ঠ मैने
कहा, * मैं खुद पहुंच कर भागे तार दे दया भौर वह भा जाएगी ।”
1 षू“
दूसरा स्ट्रेशन जहाँ एक्सप्रेस दकतो थी यशवन्तनगर था | वहाँ उतरा
वो पहले मे तार मौनुर था 1 लिखा था कि इस नाम के झादमी को रेल के
তির थे यह कह कर उतार लो कि तुम्हारी वीवो इटावे पर उतर गई है ।
में उतर ही घुका था । मेरे पास तार के ऐसे भला कहाँ मगर मालूम टमा कि
तार मुफ्त दिया जाएगा । लिहाजा मैने तार दिलवा दिया कि उतर पड़ा हूँ ।
घबराना मत, दूसरी गाड़ी से জী মাসী 1
User Reviews
No Reviews | Add Yours...